अध्याय:8 मानचित्र अध्यन ( Class-9,Geography)

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

1. कौन-सी मापक विधि सर्वाधिक मान्य है?

(क) प्राकथन (ख) निरूपक भिन्न (ग) आरेख (घ) कोई नहीं

उत्तर-(ख)

2.मानचित्र की दूरी को मापनी में कैसे जाना जाता है ?

(क) अंश (ख) हर (ग) आरेख (घ) कोई नहीं

उत्तर-(क)

3.मापनी में हर व्यक्त करता है

(क) धरातल की दूरी (ख) मानचित्र की दूरी (ग) दोनों दूरियाँ (घ) उनमें से कोई नहीं

उत्तर-(क)

4.निम्नलिखित में कौन-सा मापक निरूपक भिन्न का है?

(क) मीटर (ख) सेंटीमीटर (ग) इंच (घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर-(ग)

5.निम्नलिखित में किस मापनी द्वारा किलोमीटर और मील दोनों की दूरियों को दर्शाया जा सकता है?

(क) रेखीय मापनी (ख) आरेखीय मापनी (ग) प्रतिनिधि भिन्न (घ) तुलनात्मक मापनी

उत्तर-(घ)

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. मापक क्या है? मापक का क्या महत्व है? स्पष्ट करें।

उत्तर-मानचित्र पर प्रदर्शित किए गए किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी और धरातल पर भी उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की वास्तविक दूरी के अनुपात को, मापने की विधि को मापक कहते हैं । ये दो प्रकार का होता है(i) लघु मापक (ii) दीर्घ मापक।

मापक का महत्व-मापक के निम्नलिखित महत्व हैं

(i) धरातल के क्षेत्र को मानचित्र पर सही-सही प्रदर्शित करने की विधि मापक कहलाती है।

(ii) मापक के माध्यम से बड़े-बड़े भू-खण्डों को मानचित्र पर छोटे रूप में प्रदर्शित किया

(iii) मापक के द्वारा किसी क्षेत्र के क्षेत्रफल की जानकारी प्राप्त होती है।

(iv) भवन, कारखाने, रेलवे लाइन आदि के चित्र बनाने के लिए मापक आवश्यक है।

(v) भू-सर्वेक्षण के लिए भी मापक अनिवार्य है।

प्रश्न 2. मापक को प्रदर्शित करने की विधियाँ बताएँ ।

उत्तर-मापक को प्रदर्शित करने की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं

(i) कथन विधि (ii) प्रदर्शक विधि (iii) रैखिक मापक विधि

प्रश्न 3. प्रतिनिधि अथवा प्रदर्शक भिन्न क्या है?

उत्तर-मानचित्र की दूरी और धरातल की दूरी को एक भिन्न द्वारा प्रकट करने की विधि प्रतिनिधि अथवा प्रदर्शक भिन्न कहते हैं।

 प्रदर्शक भिन्न (R.F.) = मानचित्र की दूरी /धरातल की दूरी

प्रश्न 4. मापक कितने प्रकार का होता है?

उत्तर-मापक दो प्रकार का होता है-

(i) लघु मापक (ii) दीर्घ मापक ।

प्रश्न 5. मापक की दो विभिन्न प्रणालियाँ कौन-कौन-सी हैं?

उत्तर-मापक की दो विभिन्न प्रणालियाँ हैं-

(i) कथन विधि (ii) प्रदर्शक विधि ।

प्रश्न 6. प्रदर्शक भिन्न विधि को-सर्वमान्य विधि क्यों कहा जाता है?

उत्तर-प्रदर्शक भिन्न को विश्व के किसी भी देश की मापन प्रणाली के अनुसार बदला जा सकता है इसलिए इसे सर्वमान्य विधि कहा जाता है।

प्रश्न 7.आलेखी विधि के मुख्य उपयोग क्या हैं?

उत्तर-आलेखी विधि का मुख्य उपयोग है दो बिन्दुओं के बीच की दूरी और धरातल पर उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की वास्तविक दूरी को ज्ञात करना।

प्रश्न 8. तुलनात्मक मापक क्या है?

उत्तर-तुलनात्मक मापक में एक या एक से अधिक मापक प्रणालियों में दूरियाँ प्रदर्शित की जाती हैं जैसे-मील, फलांग, किमी. इत्यादि

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.मापक क्या है? मानचित्र के लिए इसका क्या महत्व है? मापक को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न विधियों का विस्तृत वर्णन करें।

उत्तर-मापक वह विधि है जिसके द्वारा मानचित्र पर प्रदर्शित किए गए किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी और धरातल पर भी उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की वास्तविक दूरी के अनुपात को मापा जा सके।

मापक दो प्रकार के होते हैं-

(i) लघु मापक,

(ii) दीर्घ मापक।

(i) लघु मापक-लघु मापक को छोटा मापक भी कहा जाता है। इसमें एक सेंमी. को कई कि.मी. के बराबर प्रदर्शित किया जाता है । जैसे-1 सें.मी. = 5 कि.मी. या 1/5000000। इसका अर्थ हुआ मानचित्र पर प्रदर्शित 1 से.मी. की दूरी पृथ्वी पर 5000000 सेमी. या 5 कि.मी. को प्रदर्शित करती है। लघु मापक पर बड़ी से बड़ी दूरियाँ भी दर्शायी जाती हैं।

(ii) दीर्घ मापक-दीर्घ मापक को बड़ा मापक भी कहा जाता है। इसमें 1 कि.मी. को कई सें.मी. में प्रदर्शित किया जाता है । जैसे-5 से.मी. = 1 कि.मी. या 1/20,000। इसका अर्थ है मानचित्र की 5 से.मी. की दूरी पर 1 कि.मी: को दर्शाती है । दीर्घ मापक पर छोटी दूरियों को प्रदर्शित करने में आसानी होती है। मानचित्र के लिए मापक बहुत उपयोगी है। इसके बिना मानचित्र नहीं बनाया जा सकता है।

मानचित्र में इसका निम्नलिखित महत्व है

(1) मापक के द्वारा धरातल के क्षेत्र को मानचित्र पर सही रूप से प्रदर्शित किया जाता है।

(2) मापक के माध्यम से बड़े-बड़े भू-खण्डों को मानचित्र पर छोटे रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

(3) मापक के द्वारा किसी क्षेत्र के क्षेत्रफल की जानकरी प्राप्त होती है।

(4) भवन, कारखाने, रेलवे लाइन आदि के चित्र बनाने के लिए मापक आवश्यक है।

(5) भू-सर्वेक्षण के लिए भी मापक अनिवार्य है।

मापक प्रदर्शित करने की विधियाँ-मानचित्र पर मापक को प्रदर्शित करने के लिए निम्नलिखित तीन विधियाँ अपनाई जाती हैं

(i) कथन विधि (ii) प्रदर्शक विधि (iii) रैखिक मापक विधि

(i) कथन विधि-इस विधि में मापक को एक कथन के द्वारा व्यक्त किया जाता है। जैसे-से.मी.-5 कि.मी. या 1 इंच = 18 मील आदि । 1 से.मी. =5 कि.मी. का अर्थ यह है कि मानचित्र पर 1 से.मी. की दूरी धरातल पर 5 कि.मी. की दूरी को प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार 1 इंच = 18 मील से अभिप्राय है कि मानचित्र पर 1 इंच की धरातल पर 18 मील की दूरी को प्रदर्शित करता है।

(ii) प्रदर्शक विधि-एक ही मापक प्रणाली का प्रयोग विश्व के सभी देशों में नहीं किया जाता है । कथन विधि प्रणाली संबंधित देशों में ही उपयोगी होता है। इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रदर्शक भिन्न का प्रयोग किया जाता है । इस विधि के द्वारा प्रत्येक देश में मापक बनाया जा सकता है चाहे वहाँ किसी भी मापन प्रणाली का प्रयोग होता हैं । इस विधि में मानचित्र की दूरी और धरातल की दूरी को एक भिन्न के द्वारा प्रकट किया जाता है। इस भिन्न का अंश हमेशा 1 होता है जो मानचित्र की दूरी को प्रदर्शित करता है तथा हर उसी इकाई में होता है

और धरातल की दूरी को प्रदर्शित करता है। प्रदर्शक भिन्न विधि को उपलक्षक एवं निरूपक भिन्न भी कहते हैं।

प्रदर्शक भिन्न (R.F.)=मानचित्र की दूरी(Map Distance )/ धरातल की दूरी (Ground Distance)

उदाहरण के लिए= —–का है 250,000,000 की मानचित्र का 1 इंच धरातल के 2,50,000,000 इंच को प्रकट कर रहा है और मानचित्र का 1 से.मी. धरातल के 250,000,000 से.मी. को प्रदर्शित कर रहा है । प्रदर्शक भिन्न को विश्व के किसी भी देश की मापन प्रणाली के अनुसार बदला जा सकता है इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय मापक भी कहा जाता है। (iii) रैखिक मापक विधि-इस विधि को सरल मापक विधि भी कहा जाता है । इस विधि में सरल रेखा की लम्बाई, गणित के आधार पर कथन अथवा प्रदर्शक भिन्न की सहायता से निश्चित की जाती है। इसके बाद इस रेखा को ज्यामितीय विधि के द्वारा मूल तथा गौण विभागों में बाँटा जाता है। मुख्य का मूल भाग पर बड़ी इकाई जैसे मील या कि.मी. तथा गौण या उपविभाग पर छोटी इकाई, जैसे फलांग या मीटर दर्शाया जाता है |

प्रश्न 2. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

(i) प्रदर्शक भिन्न

(ii) रैखिक मापक

(iii) कथनात्मक मापक

उत्तर-(i) प्रदर्शक भिन्न-एक ही मापक प्रणाली का प्रयोग विश्व के सभी देशों में नहीं किया जाता है। कथन-विधि संबंधित देशों में ही उपयोगी होता है। इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रदर्शक भिन्न का प्रयोग किया जाता है । इस विधि के द्वारा प्रत्येक देश में मापक बनाया जा सकता है। चाहे वहाँ किसी भी मापन प्रणाली का प्रयोग होता हो । इस विधि में मानचित्र की दूरी और धरातल की दूरी को एक भिन्न के द्वारा प्रकट किया जाता है । इस भिन्न का अंश हमेशा एक होता है जो मानचित्र की दूरी को प्रदर्शित करता है तथा हर उसी इकाई में होता है और धरातल की दूरी को प्रदर्शित करता है तथा हर उसी इकाई में होता है ।और धरातल की दूरी को प्रदर्शित करता है इस भिन्न को उपलक्षक शब्द एवं निरूपक भिन्न भी कहा जाता है।

प्रदर्शक भिन्न (R.F) =मानचित्र की दूरी(Map Distance) /धरातल की दूरी (Ground Distance)

(ii) रैखिक मापक विधि-इस विधि को सरल मापक विधि भी कहा जाता है । इस विधि में सरल रेखा की लम्बाई, गणित के आधार पर कथन अथवा प्रदर्शक भिन्न की सहायता से निश्चित की जाती है। इसके बाद इस रेखा को ज्यामितीय विधि के द्वारा मूल तथा गौण विभागों में बाँटा जाता है । मुख्य या मूल भाग पर बड़ी इकाई जैसे-मील या कि.मी. तथा गौण या उपविभाग पर छोटी इकाई जैसे-फलांग या मीटर दर्शाया जाता है। (iii) कथनात्मक मापक-साधारण मापक के किसी इकाई का दसवाँ भाग अथवा इकाई का दूसरा भाग प्रदर्शित किया जाता है। यदि किसी इकाई का सौवाँ अंश या इस इकाई के तीसरे भाग को प्रदर्शित करना होता है तो हम कथनात्मक मापक का प्रयोग करते हैं । इस प्रकार किसी इकाई के सौवें भाग अथवा सूक्ष्म दूरी को प्रदर्शित करने वाले मापक को कर्णवत् मापक कहा जाता है। इस मापक पर किलोमीटर, हेक्टोमीटर, डेकामीटर अथवा मीटर, डेसीमीटर, सेंटीमीटर आदि को प्रदर्शित किया जाता है।