वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.लोकतंत्र की सफलता निर्भर करती है।
(क) नागरिकों की उदासीनता पर
(ख) नागरिकों की गैर-कानूनी कार्रवाई पर
(ग) नागरिकों की विवेकपूर्ण सहभागिता पर
(घ) नागरिकों द्वारा अपनी जाति के हितों की रक्षा पर नागरिकों की विवेकपूर्ण सहभागिता पर
Ans . (ग) नागरिकों की विवेकपूर्ण सहभागिता पर
2.15 वीं लोकसभा चुनाव से पूर्व लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी थी।
(क ) 10 प्रतिशत (ख ) 15 प्रतिशत (ग) 33 प्रतिशत (घ ) 50 प्रतिशत
Ans. (क ) 10 प्रतिशत
3. ” लोकतंत्र जनता का, जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन है” यह कथन
(क) अरस्तू (ख) अब्राहम लिंकन (ग)रुसो (घ) ग्रीन
Ans. (ख ) अब्राहम लिंकन
4. नए विश्व सर्वेक्षण के आधार पर भारतवर्ष में मतदाताओं की संख्या है लगभग
(क) 90 करोड़(ख) 71 करोड़ (ग) 75 करोड़(घ) 95 करोड़
Ans. (ख) 71 करोड़
5. क्षेत्रवाद की भावना का एक कुपरिणाम है?
(क) अपने क्षेत्र से लगाव (ख) राष्ट्रहित (ग) राष्ट्रीय एकता (घ) अलगाववाद
Ans.(घ) अलगाववाद
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(i)भारतीय लोकतंत्र ……..लोकतंत्र है। (प्रतिनिध्यात्मक / एकात्मक)
Ans. प्रतिनिध्यात्मक
(ii) न्यायपालिका में ……. के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। (सत्य / हिंसा)
Ans. सत्य
(iii) भारतीय राजनीति में महिलाओं को……प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की गई है। (33 प्रतिशत / 15 प्रतिशत)
Ans.33 प्रतिशत
(iv) वर्तमान में नेपाल की शासन – प्रणाली…है। (लोकतंत्रात्मक / राजतंत्र)
Ans. लोकतंत्रात्मक
(v) 15 वीं लोकसभा चुनाव में UPA द्वारा……. सीटों पर विजय प्राप्त की गई। (265/543)
Ans-265
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1.लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है। कैसे?
Ans. ” लोकतंत्र जनता का,जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है ।” यह वाक्य अब्राहम लिंकन ने कहा है । जिसका अर्थ है लोकतंत्र में मताधिकार के द्वारा जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है और चुने गए प्रतिनिधि जनता पर शासन करते हैं। अगर जनता उस प्रतिनिधि के द्वारा किए गए कार्यों से संतुष्ट नहीं है, तो अगले चनाव में वह उन्हें मतदान न करसता से हटा भी सकती है।
2. केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच आपसी टकराव से लोकतंत्र कैसे प्रभावित होता है ?
Ans . केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच आपसी टकराव से आतंकवाद से लड़ने और जन कल्याणकारी योजनाओं जैसे – जाति भेदभाव, शिक्षा, लिंग भेद , नारी शोषण, बाल – मजदूरी एवं सामाजिक कुरुतियों आदि के क्रियान्वयन में बाधा पहुँचती है, जबकि किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए केन्द्र राज्य सरकारों के बीच बेहतर सामंजस्य एवं तालमेल होना आवश्यक है।
3. परिवारवाद क्या है?
Ans . जब किसी जनप्रतिनिधि के निधन या इस्तीफे के कारण कोई सीट खाली हो जाती है और उसके ही किसी परिजन को चुनाव वाली टिकट दे दिया जाता है, तो उसे परिवारवाद कहते हैं।
4. आर्थिक अपराध का अर्थ स्पष्ट करें।
Ans . पैसे के लोभ के कारण जो अपराध किए जाते हैं, उन्हें आर्थिक अपराध कहते हैं । यही कारण है कि नई लोक सभा में करोड़पति सांसदों की संख्या अब तक के सबसे ऊँचे स्तर पर पहुंच गई है।
5. सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है, कैसे?
Ans. सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है, वह लोगों को जानकार बनाता है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1.लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं?
Ans. लोकतंत्र एक प्रकार का शासन है. एक सामाजिक व्यवस्था का सिद्धांत है, विशेष प्रकार की मनोवृत्ति है तथा आर्थिक आदर्श है। अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र के बारे में कहा है – लोकतंत्र जनता का, जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन है । लोकतंत्र में जनता मतदान के द्वारा अपना प्रतिनिधि चुनती है। अगर जनता उस प्रतिनिधि के द्वारा किए गए कार्यों से संतुष्ट नहीं होती है तो अगले चुनाव में उस प्रतिनिधि को अपना वोट न देकर उसे सत्ता से हटा सकती है।
2.गठबंधन की राजनीति कैसे लोकतंत्र को प्रभावित करती है?
Ans , गठबंधन को राजनीति लोकतंत्र को बहुत प्रभावित करती है । स्पष्ट बहुमत नहीं आने पर सरकार बनाने के लिए छोटी – छोटी क्षेत्रीय पार्टियों का आपस में गठबंधन किया जाता है, वैसे उम्मीदवारों को भी चुन लिया जाता है जो दागी प्रवृत्ति या अपराधिक पृष्ठभूमि के होते हैं । गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल अपनी आकांक्षाओं और लाभों की संभावनाओं को देखते हुए गठबंधन करने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे प्रशासन पर सरकार की पकड़ ढीली हो जाती है।
3.नेपाल में किस तरह की शासन व्यवस्था है ? लोकतंत्र की स्थापना में वहाँ क्या – क्या बाधाएं हैं?
Ans. नेपाल में राजतंत्र की समाप्ति के बाद लोकतांत्रिक प्रयोग शुरू हुआ है । लोकतंत्र की स्थापना में यहाँ सबसे बड़ी बाधा है – माओवादी नेताओं के द्वारा सरकार पर अपनी इच्छा लादना , जो संभव नहीं है।
4.क्या शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है?
Ans . हाँ, शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है क्योंकि एक शिक्षित व्यक्ति जितनी अच्छी तरह से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता है, उतनी अच्छी तरह से अशिक्षित व्यक्ति अपने मताधिकार का महत्व नहीं समझ पाता । वह यह नहीं तय कर पाता कि किस प्रतिनिधि को अपना मत दें और किसे नहीं। भारत में साक्षरता की दर काफी कम होने के कारण यह लोकतंत्र के लिए एक चुनौती है।
5.आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है । कैसे?
Ans . आतंकवादी अपने विध्वंसक क्रियाकलापों की सहायता से न तो सिर्फ जान – माल का नुकसान करते हैं बल्कि देश में अशांति तथा कुव्यवस्था फैलाते हैं, जिसकी वजह से जनता में भय फैलता है तथा लोकतंत्रात्मक व्यवस्था के प्रति अविश्वास पनपता है। अत: आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतंत्र की कौन – कौन सी चुनौतियाँ हैं ? विवेचना करें।
Ans. वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतंत्र की चुनौतियाँ निम्न प्रकार हैं केन्द्र और राज्यों के बीच आपसी टकराव से आतंकवाद से लड़ने और जनकल्याणकारी योजनाओं जैसे- शिक्षा , जाति भेदभाव, नारी शोषण ,लिंग भेद, बाल मजदूरी के क्रियान्वयन में बाधा पहुँचती है, जबकि किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच सामंजस्य एवं तालमेल आवश्यक है । लोकसभा की बड़ी चुनौतियों में लोकसभा और राज्य सभा के चुनाव में होने वाले चुनावी खर्च, उम्मीदवारों के टिकट के वितरण और चुनावों की पारदर्शिता भी शामिल है । वंश और जाति , क्षेत्रीय गठबंधन की राजनीति भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । स्पष्ट बहुमत नहीं आने पर सरकार बनाने के लिए छोटी – छोटी क्षेत्रीय पार्टियों का आपस में गठबंधन होना, वैसे उम्मीदवारों को भी चुन लिया जाना जो दागी प्रवृत्ति या आपराधिक पृष्ठभूमि के होते हैं, ये भी लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है । गठबंधन के कारण प्रशासन पर सरकार की पकड़ ढीली हो जाती है । सभी पार्टियों में आपराधिक छवि वाले सांसदों की संख्या में वृद्धि भी लोकतंत्र की चुनौती है।
2.बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी, लोकतंत्र के विकास में कहाँ तक सहायक है?
Ans . बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र के विकास में सहायक है । आज महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कार्य कर रही हैं । वो आज अपने मतों की ताकत को पहचानती हैं तथा उसका प्रयोग भी जानती हैं। आज लोक सभा में भी महिलाओं की संख्या 10% से बढ़ गई है। ग्रामीण व्यवस्था में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है । अत: बिहार की राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी, लोकतंत्र के विकास के लिए आवश्यक है।
3. परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र प्रभावित करते हैं?
Ans . जब किसी जनप्रतिनिधि के निधन या इस्तीफे के कारण कोई सीट खाली हो जाती है, तो उसके किसी परिजन को ही चुनाव वाली टिकट दे दिया जाता है । यह लोकतंत्र की खामियों को दर्शाता है और इससे लोकतंत्र काफी प्रभावित होता है । जातिवाद भी लोकतंत्र को बहुत प्रभावित करता है । इसमें नेता लोग जातीय वोट बैंक का सुरक्षित किला बना लेते हैं । सत्ता में आने के बाद आम लोगों के समान विकास में कोई रुचि नहीं रखते हैं। ऐसे नेता कुछ खास जाति समूहों व व्यक्तियों के लिए सरकारी स्तर से सामूहिक व व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की कोशिश करते हैं । इस प्रकार की राजनीति से बिहार को बड़ा नुकसान हुआ है।
4.क्या चुने हुए शासक लोकतंत्र में अपनी मर्जी से सब कुछ कर सकते हैं?
Ans. नहीं, चुने हुए शासक लोकतंत्र में अपनी मर्जी से सब कुछ नहीं कर सकते हैं । लोकतंत्र में जनता मतदान के द्वारा अपना शासक चुनती है । इस शासक को अपने द्वारा किये गये कार्यों का हिसाब जनता को देना पड़ता है। सूचना का अधिकार कानून जनता को जानकार बनाता है , लोकतंत्र में जनता को यह अधिकार प्राप्त है कि वह सरकार द्वारा बनाए गये कानूनों, उनके द्वारा लिए निर्णयों के बारे में सवाल पूछ सके । अगर जनता उनके द्वारा किए गए कार्यों से संतुष्ट नहीं होती है, तो वह आने वाले चुनाव में उन्हें वोट न देकर सत्ता से हटा सकती है।
5.न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है, कैसे? इसके सुधार के क्या उपाय हैं?
Ans . किसी भी लोकतंत्र की सफलता में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। अमेरिका और ब्रिटेन की लोकतांत्रिक सफलता में वहाँ की न्यायपालिका का बड़ा हाथ है । अमेरिकी संविधान के निर्माताओं में से एक अलेक्जेंडर हैमिल्टन ने कहा था, ” कार्यपालिका में ऊर्जा होनी चाहिए, तो विधायिका में दूरदर्शिता जबकि न्यायपालिका में सत्य के प्रति निष्ठा होनी चाहिए । ” किसी भी लोकतंत्र में न्यायपालिका को इतनी स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह निष्पक्ष तथा स्वतंत्र होकर निर्णय दे सके । अन्यथा अगर वह किसी के दबाव पर निर्णय देती है तो वह लोकतंत्र में जनता के विश्वास को कम कर देगी। अत :न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र को चुनौती है । इसके सुधार के लिए न्यायपालिका को इतनी शक्ति देनी चाहिए कि वह निष्पक्ष होकर न्याय करे तथा दबंग एवं ऊंची पहुँच वाले इंसान अपने उसूल का इस्तेमाल कर सकें । इसके अलावा न्यायपालिका को इतनी आजादी होनी चाहिए की वह इन शक्तियों का उपयोग कर सकें।