अध्याय 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष (Class-10,Civics)

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1.वर्ष 1975 भारतीय राजनीति में किसलिए जाना जाता है?

(क) इस वर्ष आम चुनाव हुए थे।

(ख) श्रीमती इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री बनी थी।

(ग) देश के अंदर आपातकाल लागू हुआ था।

(घ) जनता पार्टी की सरकार बनी थी।

Ans.(घ) जनता पार्टी की सरकार बनी थी।

2.भारत लोकतंत्र में सत्ता के विरुद्ध जन आक्रोश किस दशक से प्रारंभ हुआ?

(क ) 1960 के दशक से

(ख) 1970 के दशक से

(ग) 1980 के दशक से

(घ ) 1990 के दशक से

Ans. ( ख).1970 के दशक से।

3. बिहार में संपूर्ण क्रांति का नेतृत्व निम्नलिखित में से किसने किया?

(क) मोरारजी देसाई

(ख) नीतीश कुमार

(ग) इंदिरा गाँधी

(घ) जयप्रकाश नारायण

Ans . ( घ) जसकाश नारायण ।

4.भारत में हुए 1977 में आम चुनाव में किस पार्टी को बहुमत मिला है?

(क) काँग्रेस पार्टी को

(ख) जनता पार्टी को

(ग)कम्युनिस्ट पार्टी को

(घ) किसी पार्टी को नहीं

Ans. (ख) जनता पार्टी को।

5.” चिपको आंदोलन” निम्नलिखित में से किससे संबंधित नहीं है?

(क) अंगुर के पेड़ काटने की अनुमति से

(ख) आर्थिक शोषण की मुक्ति से

(ग) शराबखोरी के विरुद्ध आवाज से

(घ) काँग्रेस पार्टी के विरोध से

Ans. (क) अंगूर के पेड़ काटने की अनुमति से।”

6.दलित मथर्स ” के कार्यक्रम निम्नलिखित में से कौन संबंधित नहीं है ?

(क) जाति प्रथा का उन्मूलन

(ख) दलित सेना का गठन

(ग) भूमिहीन किसानों की

(घ) औद्योगिक मजदूरों की शोषण से मुक्ति

Ans : (क) जाति प्रथा का उन्मूलन

7. निम्नलिखित में कौम भारतीय किसान यूनियन के बेता थे?

(क) मोरारजी देसाई

(ख) जयप्रकाश नारायण

(ग) महेंदर सिंह टिकैत

(घ) चौधरी चरण सिंह

Ans. (क) मोरारजी देसाई

8.” ताड़ी विरोधी आंदोलन निम्नलिखित में से किस प्रांत में शुरू किया गया?

(क) बिहार

(ख) उत्तर प्रदेश

(ग) आंध्र प्रदेश

(घ) तमिलनाडु

Ans.(ग) आंध्र प्रदेश

9. नर्मदा घाटी परियोजना किन राज्यों से संबंधित है?

(क) बिहार, प्रदेश, म. प्रदेश

(ख) तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक

(ग) प. बंगाल, उ. प्रदेश, पंजाब

(घ) गुजरात, महाराष्ट्र, म.प्रदेश

ans. (घ ) गुजरात, महाराष्ट्र, म. प्रदेश

10. सूचना के अधिकार आंदोलन की शुरुआत कहाँ से हुई?

(क ) राजस्थान

(ख) दिल्ली

(ग) तमिलनाडु

(घ) बिहार

Ans. (क) राजस्थान

11 . ‘ सूचना के अधिकार संबंधी कानून कब बना?

(के) 2004 में

( ख ) 2005 में

(ग) 2006 में

(घ) 2007 में

Ans. (ग)2006

12. नेपाल में सप्तदलीय गठबंधन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

(क) राजा को देश छोड़ने पर मजबूर करना

(ख) लोकतंत्र की स्थापना करना

(ग) भारत – नेपाल के बीच संबंधों को और बेहतर बनाना

(घ) सर्वदलीय सरकार को स्थापना करना

Ans . ( ख ) लोकतंत्र की स्थापना करना

13. बॉलिवीया में जन संघर्ष के मुख्य कारण थे?

(क) पानी की कीमत में वृद्धि

(ख) खाद्यान्न की कीमत में वृद्धि

(ग) पेट्रोल कीमत में वृद्धि

(घ) जीवन रक्षक दवाओं की कीमत में वृद्धि.

Ans. (क) पानी की कीमत में वृद्धि

14. श्रीलंका कब आजाद हुआ?

(क) 1947

(ख) 1948

(ग) 1949

(घ) 1950

Ans.(ख) 1948

15. राजनीतिक दल का आशय है।

(क) अफसरों के समूह से

(ख) सेनाओं के समूह

(ग) व्यक्तियों के समूह से

(घ) किसानों के समूह से

Ans .(ग) व्यक्तियों के समूह से

16. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रमुख उद्देश्य प्रायः सभी राजनीतिक दलों का होता है?

(क) सत्ता प्राप्त करना

(ख) सरकारी मदों को प्राप्त करना

(ग) चुनाव लड़ना

(घ) इसमें से कोई नहीं

Ans. (क) सत्ता प्राप्त करना

17. राजनीतिक दलों की नींव सर्वप्रथम किस देश में पड़ी?

(क) ब्रिटेन में

(ख) भारत में

(ग) फ्रांस में

(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका में

Ans.(क) ब्रिटेन में

18. निम्नलिखित में से किसे लोकतंत्र का प्राण माना जाता है?

(क) सरकार को

(ख) न्यायपालिका को

(ग) संविधान को

(घ) राजनीतिक दल को

Ans.(घ) राजनीतिक दल को

19. निम्नलिखित में से कौन – सा कार्य राजनीतिक दल नहीं करता है?

(क) चुनाव लड़ना

(ख) सरकार की आलोचना करना

(ग) प्राकृतिक आपदा में राहत कार्य

(घ) अफसरों की बहाली संबंधित कार्य

Ans : (घ) अफसरों की बहाली संबंधित कार्य

20. निम्नलिखित में से कौन-सा विचार लोकतंत्र में राजनीतिक दलों से मेल नहीं खाता ?

(क) राजनीतिक दल लोगों की भावनाओं एवं विचारों को जोड़कर सामने रखता है।

(ख) राजनीतिक दल देश में एकता एवं अखंडता स्थापित करने का साधन है।

(ग) देश के विकास के लिए सरकारी नीतियों में राजनीतिक दल बाधा उत्पन्न करता है।

(घ) राजनीतिक दल विभिन्न वर्गों, जातियों, धर्मों की समस्याएँ सरकार तक पहुँचाता है।

Ans. (ग) देश के विकास के लिए सरकारी नीतियों में राजनीतिक दल बाधा उत्पन्न करता है।

21. किस देश में बहुदलीय व्यवस्था नहीं है?

(क) पाकिस्तान

(ख) भारत

(ग) बांग्लादेश

(घ) ब्रिटेन

Ans.(घ) ब्रिटेन

22. गठबंधन की सरकार बनाने की संभावना किस प्रकार की दलीय व्यवस्था में होती है?

(क) एकदलीय व्यवस्था

(ख) द्वि- दलीय व्यवस्था

(ग) बहुदलीय व्यवस्था

(घ) इनमें से कोई नहीं

Ans.( ग) बहुदलीय व्यवस्था

23. किसी भी देश में राजनीतिक स्थायित्व के लिए निम्नलिखित में से क्या आवश्यक नहीं है?

(क) सभी दलों द्वारा सरकार को रचनात्मक सहयोग देना

(ख) किसी भी ढंग से सरकार को अपदस्थ करना

(ग) निर्णय प्रक्रिया में

(घ) सरकार द्वारा विरोधी दलों को नजरबंद करना I

Ans. (घ) सरकार द्वारा विरोधी दलों को नजरबंद करना।

24. निम्नलिखित में से कौन-सी चुनौती राजनीतिक दलों की नहीं है।

(क) राजनीतिक दलों के भीतर समय पर सांगठनिक चुनाव नहीं होना।

(ख) राजनीतिक दलों में युवाओं और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलना ।

(ग) राजनीतिक दलों द्वारा जनता की समस्याओं को सरकार के पास रखना।

(घ) विपरीत सिद्धांत रखनेवाले राजनीतिक दलों से गठबंधन करना।

Ans. ( घ) विपरीत सिद्धांत रखनेवाले राजनीतिक दलों से गठबंधन करना।

25. दल-बदल कानून निम्नलिखित में से किस पर लागू होता है?

(क) सांसदों और विधायकों पर

(ख) राष्ट्रपति पर (ग) उपराष्ट्रपति पर

(घ) उपर्युक्त में से सभी पर

Ans . ( क ) सांसदों और विधायकों पर

26. राजनीतिक दलों की मान्यता और उसका चिह्न किसके द्वारा प्रदान किया जाता है?

(क ) राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा

(ख) प्रधानमंत्री सचिवालय द्वारा

(ग)निर्वाचन आयोग द्वारा

(घ ) संसद द्वारा

Ans. (ग) निर्वाचन आयोग द्वारा

27. निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रीय दल नहीं है ?

(क) राष्ट्रीय जनता दल

(ख) बहुजन समाज पार्टी

(ग) लोक जनशक्ति पार्टी

(घ) भारतीय जनता पार्टी,

Ans. (ग) लोक जनशक्ति पार्टी

28. जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी का गठन कब हुआ?

(क ) 1992 में

(ख) 1999 में

(ग) 2000 में

(घ) 2004 में

Ans.(ख) 1999 में

मिलान करें सूची-

 1.कांग्रेस पार्टी (क) एन.डी.ए

2.भारतीय जनता पार्टी  (ख) क्षेत्रीय पार्टी

3. कम्यूनिस्ट पार्टी (ग) यू.पी.ए.

4.झारखंड मुक्ति मोर्चा (घ) क्षेत्रीय दल

Ans. 1.(ग)2.(क) 3. (घ) 4.(ख)।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1.बिहार में हुए ” छात्र आंदोलन” के प्रमुख कारण क्या थे?

Ans. 1971 के आम चुनाव में सत्तारूढ़ काँग्रेस ने गरीबी हटाओ’ का नारा देकर लोकसभा में बहुमत प्राप्त कर केन्द्र में सरकार का निर्माण किया था। लेकिन 1971-72 के बाद के वर्षों में देश की सामाजिक – आर्थिक दशा में कोई सुधार नहीं हुआ। बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के चलते अर्थव्यवस्था और लड़खड़ा गयी । अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की स्थापना के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को हर तरह की सहायता पर पाबंदी लगा दी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में वृद्धि ने भारत की आर्थिक स्थिति को असंतुलित कर दिया। 1972-73 में मानसून की असफलता चलते पूरे देश में कृषि की पैदावार में काफी कमी आई। अतः पूरे देश में असंतोष का माहौल था। मार्च 1974 में प्रदेश में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार एवं खाद्यान्न की कमी और कोमतों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि के चलते बिहार के छात्रों ने सरकार के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया ।”

2.चिपको अदिोलन के क्या उद्देश्य थे?

Ans. उत्तराखंड के दो-तीन गाँवों के लोगों ने वन – विभाग से निवेदन किया कि खेती-बाड़ी के औजार बनाने के लिए उन्हें अंगूर के पेड़ काटने की अनुमति दी जाए लेकिन वन – विभाग ने अनुमति खेल – सामग्री के निर्माताओं को दे दी। वन विभाग की इस कार्रवाई से गाँव वाले काफी दुखी हुए और उन्होंने इस निर्णय का जबरदस्त विरोध किया। इस आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य था कि स्थानीय निवासियों को जल , जंगल तथा जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर एकमात्र नियंत्रण दिया जाए।

3.स्वतंत्र राजनीतिक संगठन क्या है?

Ans. स्वतंत्र राजनीतिक संगठन का आशय ऐसे व्यक्तियों के समूह से है जो एक समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बिना किसी दबाव के कार्य करता है।

4.भारतीय किसान यूनियन की मुख्य मांगें क्या थी?

Ans. भारतीय किसान यूनियन ने गन्ने और गेहूँ की सरकारी खरीद मूल्य में बढ़ोतरी करने, कृषि से संबंधित उत्पादों के अंतरराज्यीय आवाजाही पर लगी पाबंदियों को समाप्त करने, समुचित दर पर गारंटी सुदा बिजली की आपूर्ति करने, किसानों के बकाये कर्ज माफ करने तथा किसानों के लिए पेंशन योजना का प्रावधान करने की मांग की थी।

5. सूचना के अधिकार आंदोलन के क्या उद्देश्य थे?

Ans. सूचना के अधिकार आंदोलन की शुरुआत राजस्थान के एक छोटे से गाँव से हुई थी। 1994 और 1996 में जन – सुनवाई का आयोजन किया गया। आंदोलन के दबाव में सरकार को पंचायत के दस्तावेजों की प्रतिलिपि प्राप्त करने की अनुमति दे दी। 1996 में सूचना के अधिकार को लेकर दिल्ली में राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया। 2002 में ” सूचना की स्वतंत्रता ” नामक एक विधेयक पारित हुआ, लेकिन वह अमल में नहीं लाया जा सका । 2004 में सूचना के अधिकार संबंधी विधेयक को भारतीय संसद में उपस्थित किया गया जिसने जून, 2005 में राष्ट्रपति की स्वीकृति पाकर अधिनियम का रूप धारण किया।

6.राजनीतिक दल की परिभाषा दें।

Ans. राजनीतिक दल का आशय ऐसे व्यक्तियों के किसी भी समूह से है जो एक समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य करता है । यदि उस दल का उद्देश्य राजनीतिक कार्य -कलापों से संबंधित होता है तो उसे हम राजनीतिक दुल कहते हैं।

7.किस आधार पर आप कह सकते हैं कि राजनीतिक दल जनता एवं सरकार के बीच कड़ी का काम करता है?

Ans. जनता को विभिन्न समस्याओं के समाधान में राजनीतिक दल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी शासन – व्यवस्था में किसी भी समस्या पर हजारों लोग अपना विचार रखते हैं लेकिन इन दृष्टिकोणों का कोई मतलब नहीं रहता जब तक इन विचारों को किसी दल से न जोड़ा जाए । लोकतंत्र में यदि राजनीतिक दल न होंगे तो सभी उम्मीदवार निर्दलीय होंगे। उम्मीदवार अपनी नीतियाँ राष्ट्रहित में न बनाकर उस क्षेत्र विशेष के लिए बनाएँगे जहाँ से वे चुनाव लड़ रहे थे। ऐसी स्थिति में राजनीतिक दल जनता एवं सरकार के बीच कड़ी का काम करते हैं।

8.दल-बदल कानून क्या है?

Ans. विधायकों और सांसदों के दल – बदल को रोकने के लिए संविधान में संशोधन का कानून बनाया गया है जिसे दल – बदुल कानून कहते हैं।

9.राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं?

Ans. वैसे सामाजिक दलों को जिनका अस्तित्व पूरे देश में होता है, जिनके कार्यक्रम एवं नीतियाँ राष्ट्रीय स्तर पर भी होते हैं, राष्ट्रीय राजनीतिक दल कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1.” जनसंघर्ष से भी लोकतंत्र मजबूत होता है ” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने पक्ष में तर्क दें

Ans . लोकतंत्र को मजताल बनाने एवं उसे और सुदृढ़ बनाने में जनसंघर्षों की भूमिका अहम होती है । 19 वीं शताब्दी के सातवें दशक के दौरान भारत में अनेक तरह की सामाजिक और लोकप्रिय जनसंघर्षों की उत्पत्ति हुई। 1971 में श्रीमती इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में केन्द्र में काँग्रेस की सरकार बनी। 1975 में जब उन्होंने देश में आपात काल की उदघोषणा कर जिस ढंग से लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास किया. उसके विरोध में सरकार विरोध जनसंघर्ष हुए । इस जनसंघर्षों के कारण ही 1977 में केन्द्र में जनता पार्टी की स्थापना हुई। यदि सरकार फैसले लेने में जनसाधारण के विचारों की अनदेखी करती है तो इन फैसलों के खिलाफ जनसंघर्ष होता है और सरकार पर दबाव बनाकर आम सहमति से फैसले लेने के लिए मजबूर किया जाता है । जनसंघर्ष सरकार को तानाशाह एवं मनमाना निर्णय करने से रोकते हैं। अत: लोकतंत्र को जनसंघर्ष मजबूत बनाते हैं।

2.किस आधार पर आप कह सकते हैं कि बिहार से शुरू हुआ छात्र आंदोलन राष्ट्रीय हो गया?

Ans. मार्च, 1974 में प्रदेश में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार एवं खाद्यान्न की कर्मी और कीमतों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि के चलते बिहार के छात्रों ने सरकार के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया। यह एक बड़े राजनैतिक संघर्ष की शुरुआत थी । जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने इंदिरा गाँधी के इस्तीफे के लिए दबाव डालना प्रारंभ किया । दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल प्रदर्शन कर जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गाँधी से इस्तीफे की मांग करते हुए राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह मानने के लिए निवेदन किया । की मांग की। उन्होंने अपने आह्वान में सेना, पुलिस तथा सरकारी कर्मचारियों को भी आदेश न इसे अपने खिलाफ एक षड्यंत्र मानते हुए 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी। आपातकाल के दौरान इतनी ज्यादातियों की गई जिनका उदाहरण लोकतांत्रिक देशों में नहीं मिलता । 18 महीने बाद 1977 में आपातकाल की समाप्ति के पश्चात् चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित सफलता मिली । इस प्रकार छात्र आंदोलन राष्ट्रीय हो गया।

3. निम्नलिखित वक्तव्यों को पढ़ें और अपने पक्ष में उत्तर दें

(क) क्षेत्रीय भावना लोकतंत्र को मजबूत करती है ।

(ख) दबाव समूह स्वार्थी तत्वों का समूह है । इसलिए इसे समाप्त कर देना चाहिए।

(ग) जनसंघर्ष लोकतंत्र का विरोधी है

(घ) भारत में लोकतंत्र के लिए हुए आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका नगण्य है।

Ans. (घ) प्राचीन काल से ही महिलाओं की भूमिका चारदिवारी तक सीमित कर दी गई थी। उन्हें घर – गृहस्थी के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार के कार्यों में हस्तक्षेप या योगदान करने की आजादी न थी। अतः भारत में लोकतंत्र के लिए हुए आंदोलनों में भूमिका नगण्य है ।

4. राजनीतिक दलों को लोकतंत्र का प्राण” क्यों कहते हैं ? राजनीतिक दलों की प्रमुख चुनौतियों का वर्णन करें।

Ans. लोकतंत्र में जनता की विभिन्न समस्याओं के समाधान में राजनीतिक दलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसी भी शासन – व्यवस्था में किसी समस्या पर हजारों लोग अपने विचार रखते हैं। लेकिन इन विचारों या दृष्टिकोणों का कोई मतलब नहीं होता । जबतक इन विचारों को किसी दल से न जोड़ दिया जाए । राजनीतिक दल लोगों की भावनाओं को जोड़ने का कार्य करते हैं । यदि दल नहीं होगा तो सभी उम्मीदवार निर्दलीय होंगे तथा वे उस क्षेत्र विशेष के लिए नीतियाँ बनाएँगे जहाँ से वे चुनाव लड़े थे ना कि राष्ट्रहित में । ऐसी स्थिति में देश की अखंडता और एकता खतरे में पड़ जाएगी। राजनीतिक दलों के सामने कई चुनौतियाँ हैं । जैसे सदस्यों से सहमति नहीं ली है।

(i) आंतरिक लोकतंत्र में कमी – दलों के अंदर लिए जाने वाले निर्णयों में दलों के सभी दलों के प्रमुख पदों पर दल के हो प्रमुख भेताओं एवं उनके सगे-संबंधियों का कब्जा होता है । इसके लिए चुनाव भी समय पर होते हैं । दलों के भीतर लिए गए फैसलों की जानकारी भी सभी लोगों को नहीं हो पाती है।

(ii) नेतृत्व का संकट – आज किसी भी दुल में ऐसा कोई नेता नहीं है जो सर्वमान्य हो तथा दल को सही दिशा दे सके । राजनीतिक दलों में युवा एवं महिला नेतृत्व का अभाव पाया जाता है । युवाओं को अपना भविष्य राजनीति में सुरक्षित नहीं लगता । सगे-संबोधयों, दोस्तों और रिश्तेदारों को शीर्ष पर बैठाते हैं।

(iii) वंशवाद – राजनीतिक दलों के शीर्ष पर बैठे लोग अनुचित लाभ लेते हुए अपने सगे संबंधियों दोस्तों और रिश्तेदारों को शीर्ष पर बैठाते हैं।

(iv) कालेधन एवं अपराधियों का प्रभाव – आज लड़ने में काफी रुपया – पैसा खर्च होता है । ये राजनीतिक दल जायज एवं नाजायज तरीका अपनाने से परहेज नहीं करते । चुनाव में पूँजीपतियों को उम्मीदवार के रूप में उतारा जाता है जो चुनाव में अपने काले धन का प्रयोग करते हैं।

(v) सिद्धांतहीनता की स्थिति- आज कोई भी दल अपने मूल सिद्धांतों पर कायम नहीं है। वे सत्ता प्राप्त करने के लिए अपने सिद्धांतों को भी छोड़ देते हैं।

(vi) अवसरवादी गठबंधन – भारत में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं मिल पाता है। इसलिए वे गठबंधन करते हैं जिनके सिद्धांतों एवं विचारों में भिन्नता होती है । इस तरह के गठबंधन अवसरवादी होते हैं।

5.राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में किस प्रकार योगदान देते हैं?

Ans. जिस देश में राजनीतिक दला का राष्ट्रीय विकास उतना ही ज्यादा होता है । राष्ट्रीय विकास के लिए जनता को जागरूक, समाज एवं के विचार, सिद्धान्त एवं दृष्टिकोण व्यापक होंगे उस देश राज्य में एकता एवं राजनीतिक स्थायित्व का होना आवश्यक होता है । लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों को जितना मिले, वो उतने में ही संतुष्ट हो जाते हैं। उनमें ज्यादा पाने की इच्छा नहीं होती । ऐसी स्थिति में राजनीतिक दल ही नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित करते हैं । राजनीतिक दलों में विभिन्न दलों, धर्मों, वर्गों एवं लिंगों के सदस्य होते हैं जो अपनी – अपनी जाति, धर्म, वर्ग एवं लिंग का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। राजनीतिक दल ही किसी देश में राजनीतिक स्थायित्व ला सकते हैं । लोकतांत्रिक देशों में राष्ट्रीय विकास की नीतियों एवं कार्यक्रमों को विधानमंडल से पास होना आवश्यक होता है । सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सहयोग से विधानमंडल ऐसी नीतियों एवं कार्यक्रम पास कराने में सहयोग करते हैं। अतः राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

6. राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य बताएँ।

Ans. राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य

(i) नीतियों एवं कार्यक्रम तय करना – राजनीतिक दल अपनी बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर चुनाव लड़ते हैं । वे भाषण, टेलीविजन, रेडियो, समाचार – पत्र आदि के माध्यम से अपनी नीतियों एवं कार्यक्रम जनता के सामने रखते हैं तथा मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश करते हैं।

(ii) शासन का संचालन – जिस राजनीतिक दल को चुनाव में बहुमत प्राप्त नहीं होता है वे विपक्ष में बैठते हैं तथा उन्हें विपक्षी दल कहते हैं । एक ओर जहाँ सत्ता पक्ष शासन का संचालन करता है वहीं विपक्षी दल सरकार पर नियंत्रण रखता है और सरकार को गड़बड़ियाँ करने से रोकता है।

(iii) चुनावों का संचालन – सभी राजनीतिक दल अपनी विचारधाराओं और सिद्धांतों के अनुसार कार्यक्रम एवं नीतियाँ तय करते हैं, जिसे देश की जनता के पास चुनाव घोषणा – पत्र कहते हैं । राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को खड़ा करने और चुनाव जीतने का हर प्रयत्न करते हैं।

(iv) लोकमत का निर्माण – लोकतंत्र में सत्ता प्राप्त करने के लिए शासन की नीतियों पर लोकमत प्राप्त करना होता है और यह कार्य राजनीतिक दलों के द्वारा होता है।

(v) सरकार एवं जनता के बीच अध्यक्ष का कार्य – राजनीतिक दल ही जनता की समस्याओं और आवश्यकताओं को सरकार के सामने रखते हैं और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाते हैं।

(vi) राजनीतिक प्रशिक्षण – राजनीतिक दल चुनावों के समय अपने समर्थकों को राजनैतिक कार्यों जैसेमतदान करना , चुनाव लड़ना, सरकार की नीतियों की आलोचना या समर्थन करना आदि का प्रशिक्षण देते हैं I

(vii) दलीय कार्य – प्रत्येक राजनीतिक दल कुछ दलीय संबंधी कार्य भी करते हैं । जैसे अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने दल का सदस्य बनाना, अपनी नीतियों एवं कार्यक्रम का प्रचार – प्रसार करना तथा दल के लिए चंदा इकट्ठा करना आदि।

(viil ) गैर राजनीतिक कार्य – बाढ़, सुखाड़, भूकम्प आदि के दौरान राजनीतिक दल राहत संबंधी कार्य करते हैं।

7.राष्ट्रीय एवं राजनीतिक दलों की मान्यता कौन प्रदान करते हैं और इसके मापदंड क्या हैं? प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के नाम बताएँ।

Ans. राजनीतिक दलों की मान्यता तथा उनके चुनाव चिह्न का निर्धारण चुनाव आयोग करता है । राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता प्राप्त करने के लिए राजनीतिक दलों को लोकसभा या विधान सभा के चुनावों में दो या अधिक राज्यों द्वारा कुल डाले गए वैध मतों का 6% प्राप्त करने के साथ किसी राज्य या राज्य से लोकसभा की कम-से-कम 4 सीटों पर विजयी होना आवश्यक है या लोकसभा में कम – से – कम 4 सीटों पर विजयी होना आवश्यक है या लोकसभा में कम-से-कम 2 96 सीटें अर्थात् 11 सीटें जीतना आवश्यक है जो कम-से-कम तीन राज्यों से होना चाहिए। राज्य स्तरीय राजनीतिक दल के लिए उस दल को लोकसभा या विधान सभा के चुनावों में डाले गए वैध मतों का कम-से-कम 6 96 मत प्राप्त करने के साथ – साथ राज्य विधान सभा की कम-से-कम 3 % सीटें या 3 सीटें जीतना आवश्यक है।

भारत के प्रमुख राष्ट्रीय दल हैं –

(i) भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस, (ii) भारतीय जनता पार्टी, (ii) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, (iv) भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी, (v) बहुजन समाज पार्टी, (vi) राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी, (vii) राष्ट्रीय जनता दल।

भारत के प्रमुख राज्य स्तरीय दल –

(i) जनता दल यूनाइटेड, (ii) लोक जनशक्ति पार्टी, (ii) समाजवादी पार्टी (iv) झारखंड मुक्ति मोर्चा ।

8.(क) क्षेत्रीय भावना लोकतंत्र को मजबूत करती है।

Ans. भारत में व्यक्तिगत तौर पर सबों को अलग-अलग पहचान होती है । सभी अलग अलग धर्म तथा जाति से संबंधित होते हैं । सामाजिक या क्षेत्रीय विभिन्नता के कारण लोगों में विभेद की विचारधारा जरूर बनती है, लेकिन यही विभिन्नता कहीं-कहीं समान उद्देश्य के कारण सहायक होती है । जैसे भारत में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की अपनी वास्तविक पहचान होती है लेकिन उनकी एक पहचान उनकी राष्ट्रीयता अर्थात् भारतीयता भी होती है जो लोकतंत्र को मजबूत करती है।

(ख) दबाव समूह स्वार्थी तत्वों का समूह है । अतः इसे समाप्त कर देना चाहिए।

Ans , भारतीय समूह प्रतिनिधात्मक लोकतंत्र है । यहाँ हर समूह , जाति, वर्ग के लोगों की सहमति से उनके प्रतिनिधि चुने जाते हैं जो शासन में उनकी तरफ से भागीदारी करते हैं। अगर कोई एक समूह अपनी मांगों को नाजायज तरीके से मनवाने की कोशिश करते हैं तो अन्य समूह उसका विरोध कर उन्हें मनमानी करने से रोकते हैं।

(ग) जनसंघर्ष लोकतंत्र का विरोधी है।

Ans . जब जनता सरकार के किसी निर्णय के विरोध में जनता आंदोलन करती है तो उसे जनसंघर्ष कहते हैं। जनसंघर्ष के दौरान जनता आंदोलन करती है जिससे सामाजिक व्यवस्था बिगड़ती है । इसलिए जनसंघर्ष लोकतंत्र का विरोधी है।