वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
1.इनमें से कौन औद्योगिक अवस्थिति का कारक नहीं माना जाता है?
(क) बाजार (ख) पूँजी (ग) जनसंख्या (घ) ऊर्जा
उत्तर-(ग)
2. भारत में सबसे पहला स्थापित लौह – इस्पात कम्पनी का नाम क्या है?
(क) भारतीय लोहा एवं इस्पात कंपनी (इस्को)
(ख) बोकारो स्टील सिटी
(ग) विशाखापत्तनम लोहा और इस्पात उद्योग
(घ) टाटा लोहा एवं इस्पात कंपनी (टिस्को)
उत्तर-(क)
3. मुंबई में पहला आधुनिक सूती मिल स्थापित किया गया है क्योंकि
(क ) मुंबई एक पत्ता है ( ख ) मुंबई में पूँजी उपलब्ध थी (ग) कपास उत्पादक क्षेत्र निकट स्थित है । (घ) उपर्युक्त सभी सही हैं
उत्तर-(घ)
4. निम्नलिखित कौन उद्योग कृषि आधारित नहीं है?
( क ) सीमेंट (ख) सूती वस्त्र (ग) चीनी (घ) जूट वस्त
उत्तर-(क)
5. हुगली – औद्योगिक प्रदेश का केन्द्र है ?
(क) कोलकाता – रिसड़ा ( ख ) कोलकाता – हावड़ा (ग) कोलकाता – कोलागरि (घ) कोलकाता – मिदनापुर
उत्तर-(घ)
6. निम्नलिखित कौन सार्वजनिक क्षेत्र में स्थित उद्योग है?
(क) जे . के . सीमेंट उद्योग (ख) टाटा लोहा एवं इस्पात उद्योग (ग) बोकारो लौह – इस्पात उद्योग (घ) रेमंड वस्त्र उद्योग
उत्तर-(ग)
7. इनमें कौन उपभोक्ता उद्योग है?
(क) इंजन उद्योग (ख) चीनी उद्योग (ग) लौह – इस्पात उद्योग (घ) पेट्रो – रसायन उद्योग
उत्तर-(घ)
8.निम्नलिखित में कौन छोटे पैमाने का उद्योग है?
(क) चीनी उद्योय (ख) कागज उद्योग (ग) खिलौना उद्योग (घ) विद्युत उपकरण उद्योग
उत्तर-(ग)
9. भोपाल त्रासदी में किस गैस का रिसाव हुआ था?
(क) कार्बन डाइऑक्साइड (ख) मिथाईल आइसोसाइनाइट (ग) कार्बनमोनोऑक्साइड (घ) सल्फर डाइऑक्साइड
उत्तर-(ख)
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर:
1.विनिर्माण उद्योग किसे कहा जाता है?
उत्तर – रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल में आनेवाले वस्तुओं के उत्पादन से संबंधित उद्योगों को विनिर्माण उद्योग कहा जाता है । जैसे- रेडियो, बल्ब, वनस्पति तेल , सीमेंट , माचिस, मोटरसाइकिल , वाहन, दवाइयाँ , पेट्रोल इत्यादि से संबंधित उद्योग ।
2.सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उद्योगों में अंतर कीजिए।
उत्तर- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग सरकार अथवा सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित एवं संचालित होता है । जैसे -भेल, सेल आदि । दूसरी ओर, निजी क्षेत्र के उद्योग का प्रबंधन एवं स्वामित्व किसी एक व्यक्ति के हाथों में होता है । जैसे टिस्को, बजाज, डाबर, गोदरेज इत्यादि।
3. उद्योगों के स्थानीयकरण से संबंधित तीन कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – उद्योगों के स्थानीयकरण से संबंधित तीन महत्वपूर्ण कारक हैं
(i) कच्चा माल,
(ii) शक्ति के साधन
(iii) बाजार।
4. कृषि आधारित उद्योग और खनिज आधारित उद्योगों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कृषि आधारित उद्योगों के कच्चे माल कृषि क्षेत्र से प्राप्त होते हैं । जैसे–चीनी उद्योग, सूती वस्त उद्योग, जूट उद्योग, वनस्पति तेल उद्योग इत्यादि। जबकि खनिज आधारित उद्योगों के लिए कच्चा माल खनिज संसाधनों के रूप में उपयोग किए जाते हैं । जैसे – लौह इस्पात उद्योग, एल्युमीनियम उद्योग, सीमेंट उद्योग, उर्वरक उद्योग इत्यादि।
5.स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण उदाहरण के साथ कीजिए।
उत्तर – स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को चार वर्गों में बाँटा जाता है
(क) निजी क्षेत्र के उद्योग ऐसे उद्योगों का स्वामित्व किसी एक व्यक्ति के हाथों में तथा प्रबंधन उसके द्वारा संचालित एक व्यक्ति या समूह में होता है । जैसे- टिस्को, बजाज उद्योग, डाबर उद्योग, गोदरेज उद्योग, महिंद्रा उद्योग इत्यादि।
(ख) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग – ऐसे उद्योगों का स्वामित्व सरकारी एजेंसियों के हाथों में तथा प्रबंधन समूह के पास होता है । जैसे-भेल, सेल आदि ।
(ग) संयुक्त उद्योग – ऐसे उद्योग निजी और सरकारी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाए जाते हैं। जैसे- आयल इंडिया लिमिटेड अमूल उद्योग आदि।
(घ) सहकारी उद्योग ऐसे उद्योगों का स्वामित्व कुछ लोगों अथवा श्रमिकों के हाथों में होता है। जैसे – महाराष्ट्र के चीनी उद्योग, केरल के नारियल उद्योग, महाराष्ट्र का पापड़ उद्योग इत्यादि।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1.उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से क्या समझते हैं ? वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर – उदारीकरण का तात्पर्य उद्योग एवं व्यापार को सरकार को लालफीताशाही के अनावश्यक प्रतिबंधों से मुक्त कर अधिक प्रतियोगी बना दिया जाता है। जबकि निजीकरण के अंतर्गत देश के अधिकतर उद्योगों के स्वामित्व का नियंत्रण तथा प्रबंधन निजी हाथों में देकर सरकारी एकाधिकार को कम या समाप्त किया जाता है। इसी तरह, वैश्वीकरण के द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना है। फलतः पूँजी , तकनीक एवं व्यापारिक आदान – प्रदान दूसरे देशों के साथ बिना किसी प्रतिबंध के होने लगता है।1991 के बाद भारत सरकार ने भी देश में उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति अपनाई है। परिणामस्वरूप, कई विदेशी कंपनियाँ देश में अपना उद्योग लगा रही हैं अथवा अपना उत्पाद बेचने आ रही है । इसके कारण भारतीय उपभोक्ताओं को विश्वस्तरीय उत्पाद इस्तेमाल करने को मिलने लगे हैं। यही नहीं, रोजगार के अवसरों में वृद्धि से बेरोजगारी भी कम हुई है तथा लोगों की आय में काफी वृद्धि होने से जीवन स्तर में क्रांतिकारी सुधार आया है जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से विकास की ओर अग्रसर कर रहा है । परंतु , वैश्वीकरण की नीति से स्वदेशी उद्योगों विशेषकर लघु एवं कुटीर उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है।
2.भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – एक विकासशील देश होने के कारण भारत का विश्व के सभी भौगोलिक प्रदेशों एवं व्यापारिक खंडों के साथ व्यापारिक संबंध है। स्वतंत्रता – प्राप्ति के बाद और विशेषकर 1990 91 के उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति अपनाए जाने के बाद देश में औद्योगिक एवं सामाजिक – आर्थिक विकास तेजी से हुआहै। 1950-51 में भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार 1214 करोड़ रु. का हुआ था जो 1990-91 में 75751 करोड़ रु. का तथा 2007-08 में बढ़कर 160.5022 करोड़ रु. का हो गया। कुल व्यापार में वृद्धि उल्लेखनीय है परंतु इस अवधि में देश का आयात , निर्यात की अपेक्षा काफी बढ़ा है, जो प्रतिकूल व्यापार संतुलन का द्योतक है। 2006-07 और 2007-08 के दौरान देश में कुल गर्यात का सर्वाधिक 51.54 96 निर्यात एशिया – ओशियाना को हुआ, साथ ही सर्वाधिक आयात 65.52 % भी इसी क्षेत्र से हुआ है। भारत में आयात की जानेवाली वस्तुओं में पेट्रोलियम एवं संबंधित उत्पाद , मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सोना, चाँदी, उर्वरक, रसायन इत्यादि प्रमुख हैं जबकि यहाँ से निर्यात की उत्पाद , खनिज इत्यादि शामिल हैं । जानेवाली वस्तुओं में इंजीनियरी सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न और आभूषण, रसायन, वस्त्र , कृषि उत्पाद खनिज आदि शामिल है। भारत सरकार ने निर्यात संवर्धन के लिए 2004 में विदेश व्यापार नीति की भी घोषणा की है जिसका लक्ष्य अगले 5 वर्षों में विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा दुगुणा करना है। निर्यात संवर्द्धन के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र नियम 2006 से प्रभावी है तथा 8 निर्यात संवर्द्धन क्षेत्रों को विशेष आर्थिक क्षेत्र में बदल दिया गया है।
3.भारत में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार की सड़कों का विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर – सड़क मार्ग परिवहन का सबसे सुलभसाइन है। देश में सड़कों की कुल लंबाई लगभग 33 लाख । किमी है । परंतु सभी सड़कें एक प्रकार की नहीं हैं । नागपुर सड़क योजना के अनुसार देश में चार प्रकार की सड़कें हैं(1) राष्ट्रीय राजमार्ग यह राजमार्ग देश के विभिन्न राज्यों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। ऐसी सड़कों की कुल लंबाई 66590 किमी है जो देश की कुल सड़क लंबाई का मात्र राष्ट्रीय राजमार्ग सभी 2 9 है । इस पर देश को कुल यातायात का 40% भाग ढोया जाता पक्की सड़के हैं । देश का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या -07 है जो 2369 किमी लंबा है । यह वाराणसी से कन्या कुमारी तक जाती है। देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने व्यापक राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना शुरू की है जिसके तहत
(i) चरण-1 के अंतर्गत स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग, पूरब – पक्षिम तथा उत्तरदक्षिण गलियारा , एक्सप्रेस – वे जैसी सड़कें विकसित की जा रही है।
(ii) राज्य राजमार्ग – इस प्रकार की सड़कों की कुल लंबाई देश की कुल सड़कों का 496 है । ऐसी सड़कें राज्यों की राजधानी को विभिन्न जिला मुख्यालयों से जोड़ती हैं। इन सड़कों के निर्माण एवं देख – रेख राज्य सरकार करती है।
(iii) जिला सड़कें ये सड़क राज्य के विभिन्न जिला मुख्यालयों को जोड़ने का काम करती है । देश के कुल सड़कों में इनका हिस्सा 149 है। क्षेत्रीय विकास की दृष्टि से ये सड़क महत्वपूर्ण हैं।
(iv) ग्रामीण सड़कें ये सड़के विभिन्न गाँवों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करती है । इसके अंतर्गत देश की कुल सड़कों का 80 96 भाग शामिल है। प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत इन सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।
(v) सीमांत सड़कें सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सीमावर्ती इलाकों में इन सड़कों का निर्माण एवं रख- रखाव सीमा सड़क संगठन करता है।
4.भारतीय अर्थव्यवस्था में परिवहन एवं संचार साधनों की महत्ता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भारत में परिवहन के सभी साधन उपलब्ध हैं। जिसमें सड़क परिवहन का सर्वसुलभ एवं सबसे सस्ता साधन है। सड़कों के बिना विकास की कल्पना अधूरी है । वस्तुओं एवं सेवाओं का आवागमन एवं स्थानांतरण सड़क मार्ग के द्वारा ही होता है । यह ऐसा परिवहन साधन है जो लोगों की आवश्यकता के अनुसार कहीं भी बनाया जा सकता है । यह सभी दूसरे परिवहन साधनों के पूरक के रूप में भी काम करता है । यह परिवहन घर – घर सेवाएँ उपलब्ध कराने वाला एकमात्र साधन है । 2003-04 में कुल यातायात में सड़कों के जरिए माल ढुलाई 600 अरब टन किमी , हुआ जबकि यात्रियों की आवाजाही 3135 अरब किमी हुआ। रेल दूसरा प्रमुख परिवहन साधन है। प्रतिदिन लगभग 1.24 करोड़ यात्रियों को यातायात की सुविधा यह देता है। 2006-07 में इस परिवहन साधन द्वारा लगभग 6 अरब 21 करोड़ 90 लाख यात्रियों ने यात्रा की । इसी अवधि में 773.2 मिलियन टन राजस्व अजेक माल की ढुलाई हुई। इससे देश की अर्थव्यवस्था में रेलवे का महत्व स्पष्ट है। वायु परिवहन, परिवहन का तीव्रतम किंतु महँगा साधन है। लंबी दूरी की यात्रा इससे काफी कम समय में तय की जाती है। भारतीय विमानपतन प्राधिकरण द्वारा 2007-08 के दौरान 13.08 लाख हवाई उड़ानों, 116,81 मिलियन यात्री तथा 17.14 लाख मैट्रिक टन सामान के आवाजाही का प्रबंधन किया गया। इससे वायु परिवहन की महत्ता अर्थव्यवस्था में स्पष्ट है।। भारत केन्द्र विदेशी एवं घरेलू व्यापार में जलमार्ग का महत्वपूर्ण स्थान है। पाँच राष्ट्रीय जलमार्ग एवं 12 बडे बंदरगाहों की सहायता से ही भारत का व्यापार हो रहा है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती जा रही है संचार साधनों में देश में डाक सेवा , टेलीग्राम, टेलीफोन, फैक्स, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र पत्रिकाएँ, इंटरनेट एवं ई – मेल सभी उपलब्ध है। इनके बिना संदेशों का आदान – प्रदान संभव नहीं है। इस प्रकार उपर्युक्त वर्णन से देश की अर्थव्यवस्था में परिवहन एवं संचार के साधनों का महत्व स्पष्ट है।
5. भारत में पाइपालाइन परिवहन का वर्णन कीजिए।
उत्तर – पाइपलाइन परिवहन का एक प्रमुख साधन है । शहरों में घर – घर तक पानी पहुंचाने के लिए इसी का इस्तेमाल किया जाता है परंतु आज इसके उपयोग में वृद्धि आई है। पाइपलाइन के जरिए पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं ठोस पदार्थों का भी परिवहन किया जाने लगा है। भारत में पेट्रोलियम उत्पादन क्षेत्रों में वृद्धि तथा आयात में वृद्धि क कारण इस मार्ग का विस्तार होता जा रहा है। 2004 ई. में देश में पाइपलाइनों की कुल लंबाई 18546 किमी हो गया है। पेट्रोलियम उत्पादों के वितरण की दृष्टि से कुछ प्रमुख पाइपलाइन हैं –
(i) गुवाहाटी – सिलिगुड़ी पाइपलाइन ।
(ii) बरौनी – कानपुर – लखनऊ पाइपलाइन ।
(iii) मंगलौर – हासन – बेंगलुरु पाइपलाइन ।
(iv) चन्नई – त्रिची पाइपलाइन ।
(v) मुंबई – मनमाड – इंदौर एवं मुंबई – पुणे पाइपलाइन।
देश का सबसे बड़ा उत्पाद पाइपलाइन जाल नहरकटिया – गुवाहाटी – सिलीगुड़ी – बरौनी – कानपुर राजबंद – मौनग्राम – हल्दिया पाइपलाइन है। ठोस पदार्थों के परिवहन के लिए कुद्रेमुख – मंगलौर पाइपलाइन प्रसिद्ध है। जबकि कच्चा तेल परिवहन के लिए डिगबोई – बरौनी- हल्दिया पाइपलाइन मुख्य है। इसी तरह पश्चिम में कांडला – अजमेर – पानीपत जमनगर – चाकसू – मथुरा पाइपलाइन महत्वपूर्ण है । दक्षिण भारत में विशाखापत्तनम – विजयवाड़ाहैदराबाद पाइपलाइन मुख्य है । इसी पाइपलाइन के समानांतर एल.पी. जी. पाइपलाइन भी है । गुजरात में हजीरा से लेकर उत्तर प्रदेश तक 1730 किमी . लंबा हजीरा – विजयपुर – जगदीशपुर गैस पाइपलाइन ( एच . बी. जे. ) भारत का सबसे लंबा गैस पाइपलाइन है। इस प्रकार स्पष्ट है कि देश में पाइपलाइन परिवहन का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।