अध्याय:7 व्यापार और भूमण्डलीकरण (Class-10,History)

बहुविकल्पी प्रश्न:

1.प्राचीन काल में किस स्थल मार्ग से एशिया और यूरोप का व्यापार होता था ?

(क) सूती मार्ग (ख) रेशम मार्ग(ग) उत्तरापथ (घ) दक्षिण पथ

उत्तर-(ख) रेशम मार्ग

2. पहला विश्व बाजार के रूप में कौन सा शहर उभर कर आया?

(क) अलेग्जेन्द्रिया (ख ) दिलमुन (ग) मैनचेस्टर(घ) बहरीन

उत्तर-(क ) अलेग्जेन्ड्रिया

3. आधुनिक युद्ध में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में होने वाली सबसे बड़ी क्रांति कौन-सी थी?

(क) वाणिज्यिक क्रान्ति (ख) औद्योगिक क्रान्ति (ग) साम्यवादी क्रान्ति (घ) भौगोलिक खोज

उत्तर-(क) वाणिज्यिक क्रान्ति’

4.गिरमिटिया मजदूर बिहार के किस क्षेत्र से भेजे जाते थे?

(क) पूर्वी क्षेत्र (ख ) पश्चिमी क्षेत्र (ग) उत्तरी क्षेत्र (घ) दक्षिणी क्षेत्र

उत्तर-(क). पूर्वी क्षेत्र

5. विश्व बाजार का विस्तार आधुनिक काल में किस समय से आरंभ हुआ?

(क ) 15 वीं शताब्दी (ख ) 18 वीं शताब्दी (ग) 19 वीं शताब्दी (घ) 20 वीं शताब्दी

उत्तर-(ख ) 18 वीं शताब्दी

6. विश्वव्यापी आर्थिक संकट किस वर्ष आरंभ हुआ था?

(क ) 1914(ख ) 1922 (ग) 1929 (घ) 1927

उत्तर-(ग) 1929

7.आर्थिक संकट (मंदी) के कारण यूरोप में कौन-सी नई शासन प्रणाली का उदय हुआ?

(क) साम्बूवादी शासन प्रणाली (ख) लोकतांत्रिक शासन प्रणाली (ग) फासीवादी नाजीवादी शासन (घ) पूँजीवादी शासन प्रणाली

उत्तर-(ख) लोकतांत्रिक शासन प्रणाली

8. वेटन वुडस सम्मेलन किस वर्ष हुआ?

(क ) 1945(ख) 1947 (ग) 1944(घ) 1952

उत्तर-(ग) 1944

9.मूमंडीकरण की शुरुआत किस दशक में हुआ?

(क) 1990 के दशक में (ख) 1970 के दशक में (ग) 1960 के दशक में (घ) 1980 के दशक में

उत्तर-(क) 1990 के दशक में

10.द्वितीय महायुद्ध के बाद यूरोप में कौन-सी संस्था का उदय आर्थिक दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए हुआ?

(क ) सार्क (ख) नाटो (ग) ओपेक (घ ) यूरोपीय संघ

उत्तर-(घ) यूरोपीय संघ

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

1.अलेग्जेक्ड्रीया नामक पहला विश्व बाजार सम्प्रट सिकन्दर के द्वारा स्थापित किया गया ।

2. विश्वव्यापी आर्थिक संकट अमेरिका देश से आरंभ हुआ।

3. ब्रेटन बुड्स नामक सम्मेलन के द्वारा विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना हुई?

4. आर्थिक संकट से विश्व स्तर पर बेरोजगारी नामक एक बड़ी सामाजिक समस्या उदित हुआ |

5. पूँजीवाद ने 1990 के बाद भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को काफी तीव्र कर दिया।

सही मिलान करें स्तम्भ ‘क’ से स्तम्भ ख का

स्तम्भ ‘क स्तम्भ ख
(क) औद्योगिक क्रान्ति जर्मनी जर्मनी
(ख) हिटलर का उदय इंग्लैंड इंग्लैंड
(ग) विश्व आर्थिक मंदी 1944
(घ) विश्व बैंक की स्थापना 1929
(ङ) भूमंडीकरण की शुरूआत प्राचीन काल
(च) विश्व बाजार की शुरूआत 1990 के बाद

उत्तर:

स्तम्भ ‘क स्तम्भ ख
(क) औद्योगिक क्रान्ति जर्मनी इंग्लैंड
(ख) हिटलर का उदय इंग्लैंड जर्मनी
(ग) विश्व आर्थिक मंदी 1929
(घ) विश्व बैंक की स्थापना 1944
(ङ) भूमंडीकरण की शुरूआत 1990 के बाद
(च) विश्व बाजार की शुरूआत प्राचीन काल

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (20 शब्दों में उत्तर दें):

1. विश्व बाजार किसे कहते हैं?

उत्तर – उस तरह के बाजारों को हम विश्व बाजार कहेंगे जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएँ आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हो।

2 औद्योगिक क्रान्ति क्या है?

उत्तर – वाम शक्ति से संचालित मशीनों द्वारा बड़े-बड़े कारखानों में व्यापक पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन ही औद्योगिक क्रान्ति है।

3. आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -1929 ई0 तक आते-आते दुनिया एक ऐसे आर्थिक संकट में घिर गया जिसका उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था । विश्व के सभी भागों में कृषि उत्पादन एवं खाद्यानों के मूल्य की विकृति ही आर्थिक संकट है।

4. भूमंडलीकरण किसे कहते हैं?

उत्तर- जीवन के सभी क्षेत्रों में एक अन्तराष्ट्रीय स्वरूप जिसने दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया , सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया, भूमंडलीकण कहा जाता है।

5. ब्रिटेन बुडस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उत्तर- ब्रिटेन बुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एव पूर्ण रोजगार बनाए रखा जाए क्योंकि यह भी महसूस किया गया कि इसी आधार पर विश्वशांति भी स्थापित की जा सकती थी।

6. बहुराष्ट्रीय कंपनी क्या है?

उत्तर – कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करने वाले कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (60 शब्दों में उत्तर दें):

1.1929 के आर्थिक संकट के कारणों को संक्षेप में स्पष्ट करें।

उत्तर – कृषि क्षेत्र में अति उत्पादन की समस्या प्रथम महायुद्ध के बाद भी बनी रही, लेकिन उसे खरीद सकने वाले लोग बहुत कम थे। इससे उन कृषि उत्पादों की किसान इस स्थिति से निकलने के उत्पादन को और बढ़ाया ताकि कम कीमत पर बढ़ा देने पर कीमतें और नीचे चली गईनाकाष । बाजारों में कृषि उत्पादों की आमद और का आकलन करते हुए आधुनिक अर्थशास्त्री कालिफ ने अपनी पुस्तक दि कॉमर्स ऑफ नेशन में लिखा है कि विश्व के सभी भागों में कृषि उत्पादन एवं खाद्यानों के मूल्य की विकृति 1929-32 के आर्थिक संकटों के प्रमुख कारण थे।

2. औद्योगिक क्रान्ति ने किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया?

उत्तर – आधुनिक काल के उदय के साथ ही भौगोलिक खोजों, पुनर्जागरण तथा राष्ट्रीय राज्यों के उदय जैसी घटनाओं ने जिस वाणिज्यक क्रान्तिको जन्म दिया, सही मायने में विश्व बाजार का स्वरूप इसके बाद ही उभरकर सामने आया । इसका पूर्ण विस्तार औद्योगिक क्रान्ति के बाद हुआ । इस क्रान्ति ने । बाजार को तमाम आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बना दिया। इसी के साथ जैसे – जैसे औद्योगिक क्रान्ति का विकास हुआ बाजार का उत्तरूप विश्वव्यापी होता चला गया और 20 वी शताब्दी के पहले तक तो इसने सभी महादेशों में अपनी उपस्थिति कायम कर ली।

3. विश्व बाजार के स्वरूप को समझाएँ।

उत्तर – आज के अर्थजगत में वाणिज्य और व्यापार के अन्तर्गत आने वाली विश्व बाजार की अवधारणा आधुनिक युग की देन है । विश्व बाजार उस तरह के बाजारों को कहते है जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएं आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब,हो,जेरो भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई आधुनिक काल के उदय के साथ ही भौगोलिक खोजों,पुनर्जागरण तथा राष्ट्रीय राज्यों के उदय जैसी घटनाओं ने जिस वाणिज्यिक क्रान्ति को जन्म दिया सही मायने में विश्व बाजार का स्वरूप इसके बाद ही उभरकर सामने आया । इस क्रान्ति ने बाजार को तमाम आर्थिक गतिविधियों को केन्द्र बना दिया । 18 वीं सदी के मध्य भाग से इंग्लैंड में बड़े-बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन आरंभ हुआ। इस प्रक्रिया से वस्तुओं का उत्पादन काफी बढ़ गया तथा उत्तरी अमेरिका एशिया ( भारत ) और अफ्रीका ने भी कच्चा माल सप्लाई करना शुरू कर दिया। इससे उपनिवेशवाद नामक एक नवीन शासन प्रणाली का उदय हुआ । ननचेस्टर लिवर पुल लदन इत्यादि बड़े नगरों का उदय इसी का परिणाम था जहाँ वस्तुओं का उत्पादन भी होता था और बाहरी देशों से वस्तुओं को बेचा भी जाता था।

4. भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के योगदान (मूमिका) को स्पष्ट करें।

उत्तर – कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करने वाले कंपनियों को बह राष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है। 1920 के बाद से इस तरह की कंपनियों का उत्कर्ष हुआ जो द्वितीय महायुद्ध के बाद काफी बढ़ा । भूमंडलीकरण के उदय के विषय में इतिहासकारों और विचारकों में काफी मतभेद रहा। कुछ विद्वानों का मानना है कि किसी न किसी रूप में भूमंडलीकरण की प्रक्रिया मानव इतिहास के आरंभ से ही चल रही है और समय के साथ-साथ उसका स्वरूप बदलता जा रहा है जबकि विद्वानों का दूसरा समूह भूमंडलीकरण इसकी रिश्ता पूजीवाद से गहराई से जुड़ा हुआ है । भूमंडलीकरण की प्रक्रिया उन्नीसवी सदी के मध्य से लेकर प्रथम महायुद्ध के आरंभ तक काफी तीव्र रही। इस दौरान माल, पूँजी और अम् तीनों का अन्तर्राष्ट्रीय प्रवाह लगातार बढ़ता गया। इस दौरान विकसित नदीन तकनीकों भी उसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा।

5.1950 के बाद विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निमाण के लिए किए जाने वाले प्रयासों का विवरण दें।

उत्तर – द्वितीय नहायुद्ध समाप्त होने के बाद उससे उत्पन्न समस्या को हल करने तथा व्यापक तवाही से निपटने के लिए पुर्ननिर्माण का कार्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रारंम हआ। 1945 से 1960 के दशक में महत्वपूर्ण आर्थिक समान्यों का समुदाय, यूरोपीय इकानॉमिक कम्युनिटि,ई० ईसी की स्थापना की। ग्रेट ब्रिटेन 1960 में इसका सदस्य बना।

6. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें।

उत्तर – भूमंडलीकरण – जीवन के सभी क्षेत्रों में एक अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप जिसने दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया है- सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया। इसका प्रभाव हमारे भारत पर भी है । भूमंडलीकरण लोगों को भौतिक मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करती है अर्थात सभी क्षेत्रों में लोगों के द्वारा किये जाने वाले क्रियाकलापों में विश्वस्तर पर पाया जाने वाला एकपता या समानता भूमंडलीकरण के अन्तर्गत आता है । जैसे – वेश-भूषा और खान – पान के स्तर पर कुछ मौलिक विशेषताएँ विश्व के सभी देशों में समान रूप से पायी जा रही हैं।

7. विश्व बाजार के लाभ-हानि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर – विश्व बाजार ने व्यापार और उद्योग को तीव्र गति से बहाया व्यापार और उद्योगों के विकास ने पूँजीपति , मजदूर और मजबूत मध्यवर्ग नामक तीन शक्तिशाली सामाजिक वर्ग को जन्म दिया । भारत जैसे औपनिवेशिक देशों का सीमित मात्रा में ही सही- औद्योगिकरण और आधुनिकीकरण विश्व बाजार के आलोक में ही हुआ। विश्व बाजार ने नवीन तकनीकी को सृर्जित किया । इन तकनीकों में रेवले . वाष्प इंजन, भाप का जहाज, टेलीग्राफ बड़े जल स्रोत महत्वपूर्ण है। इन तकनीदी ने विश्व बाजार और उसके लाभ को कई बढ़ा दिया जैसे विश्व बाजार ने एशिया और अफ्रीका में साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद के एक नये युग को जन्म दिया। उपनिवेशों की अपनी स्थानीय आत्म निर्भर अर्थसागरथा जिसका आधार कृषि और लघु उद्योग था नष्ट हो गया । व्यापार में वृद्धि और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता में औपनिवेशिक लोगों की आजीविका को छीन लिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (150 शब्दों में उत्तर दें):

1. 1929 के आर्थिक संकट के कारण और परिणामों को स्पष्ट करें।

उत्तर – कृषि क्षेत्र में अति उत्पादन की समस्या प्रथम महायुद्ध के बाद भी बनी रही. लेकिन उसे खरीद सकने वाले लोग बहुत कम थे। इससे उन कृषि उत्पादों की आय घटी किसान इस स्थिति से निकलने के लिए उत्पादन को और बढ़ाया ताकि कम कीमत पर ज्यादा माल बेचकर अपना आय स्तर बनाये रखे । बाजारों में कृषि उत्पादों की आमद और बढ़ा देने पर कीमतें और नीचे चली गई । कृषि उत्पाद पड़ी-पड़ी सड़ने लगीं । इस स्थिति का आकलन करते हुए आधुनिक अर्थशास्त्री काडलिफ ने अपनी पुस्तक दि कॉमर्स ऑफ नेशन में लिखा है कि विश्व के सभी भागों में कृषि उत्पादन एवं खाद्यानों के मूल्य की विकृ ति 1929-32 के आर्थिक संकटों के प्रमुख कारण थे।

2. 1945 से 1960 के बीच विश्वस्तर पर विकसित होने वाले आर्थिक संबंधों पर प्रकाश डालें।

उत्तर -1945 से 1960 के दशक के बीच विकसित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक सम्बन्धों को तीन भागों में विभाजित किया गया। 1945 के बाद विश्व में दो भिन्न अर्थव्यवस्था का प्रभाव बढ़ा और दोनों ने विश्व स्तर पर अपने प्रभावों तथा नीतियों को बढ़ाने का प्रयास किया । इस स्थिति से विश्व में एक नवीन आर्थिक और राजनैतिक प्रतिस्पर्धा ने जन्म लिया । सम्पूर्ण विश्व मुख्यतः दो गुटों में विभाजित हो गया। एक साम्यवादी अर्थतन्त्र वाले देशों का गुट जिसका नेतृत्व सोवियत रूस कर रहा था । इसकी विशेषता थी- राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था और दूसरा पूँजीवादी अर्थतन्त्र वाले देशों का गुट जिसकी विशेषता थी बाजार और मुनाफा आधारित आर्थिक व्यवस्था इसका नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था। सोवियत रूस, पूर्वी यूरोप(हंगरी,रोमानिया बुल्गारिया, पोलैण्ड, पूर्वी जर्मनी इत्यादि) और भारत जैसे नवस्वतंत्र देशों में अपनी आर्थिक व्यवस्था को फैलाने का गंभीर प्रयास किया जिसमें पूर्वी यूरोप तथा उत्तर कोरिया वियतनाम जैसे देशों में उसे पूर्ण सफलता मिली, जबकि भारत जैसे देशों को अपने प्रभाव में उसने लाया।