वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
1. स्पिनिंग जेनी का आविष्कार कब हुआ?
(क ) 1769 (ख) 1770 (ग) 1773 (घ) 1775
उत्तर-(ख) 1770
2.सेफ्टी लैम्प का आविष्कार किसने किया?
(क) जेम्स हारग्रीब्ज (ख) जॉन के (ग) काम्पटन (घ) हम्फ्रीडेवी
उत्तर- (घ) हम्फ्रीडेवी
3. वम्बई में सर्वप्रथम सूती कपड़े के मिलों की स्थापना कब हुई?
(क) 1851 (ख ) 1885 (ग) 1907 (घ) 1914
उत्तर-(क) 1851
4.1917 ई० में भारत में पहली जूट मिल किस शहर में स्थापित हुआ?
(क) कलकत्ता (ख) दिल्ली (ग) बम्बई (घ) पटना
उत्तर-(क) कलकत्ता
5.भारत में कोयला उद्योग का प्रारम्भ कब हुआ?
(क) 1907(ख) 1814(ग) 1916 (घ) 1919
उत्तर-(ख) 1814
6.जमशेद जी टाटा ने टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी की स्थापना कब?
(क ) 1854 (ख ) 1907 (ग) 1915 (घ) 1923
उत्तर(ख ) 1907
7. वेज्ञानिक समाजवाद का प्रतिपादन किसने किया?
(क) राबर्ट ओवन (ख) लुई ब्लांक (ग) काल मार्क्स (घ) लाला लाजपत राय
उत्तर-(क) राबर्ट ओवन
8.इंगलैंड में सभी स्त्री एवं पुरुषों को वयस्क मताधिकार कंव प्राप्त हुआ।
(क) 1838(ख ) 1881 (ग) 1918(घ) 1932
उत्तर-(ग) 1918
9. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन काँग्रेस की स्थापना कब हुई?
(क) 1848(ख) 1881(ग) 1885(घ) 1920
उत्तर-(घ) 1920
10. भारत के लिए पहला फैक्ट्री ऐक्ट कब पारित हुआ?
(क) 1838(ख) 1858(ग) 1881(घ) 1911
उत्तर-(ग) 1881
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1.सन् 1858 ई. में ब्रिटेन चार्टिस्ट आन्दोलन की शुरुआत हुई।
2. सन् 1926 में मजदूर संघ अधिनियम पारित हआ।
3. न्युनतम मजदूरी कानून सन 1948 ई० में हुआ।
4. अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ की स्थापना 1920 ई० में हुई।
5. प्रथम फैक्ट्री एक्ट में महिलाओं एवं बच्चों की काम के घंटे एवं मजदूरी को निक्षित किया गया।
सुमेलित करें
स्तम्भ (अ) | स्तम्भ (ब) |
(क ) स्पिनिंग जेनी | (1) सैम्यूल काम्पटन |
(ख) प्लांइग शटल | (2) एडमण्ड कार्टराईट |
(ग) पावर लुम | (3) जेम्स वॉट |
(घ) वाष्प इंजन | (4 ) जॉन के |
(ङ) स्पिनिंग | (5) जेम्स हारग्रीब्ज |
उत्तर:
स्तम्भ (अ) | स्तम्भ (ब) |
(क ) स्पिनिंग जेनी | (5) जेम्स हारग्रीब्ज |
(ख) प्लांइग शटल | (4 ) जॉन के |
(ग) पावर लुम | (2) एडमण्ड कार्टराईट |
(घ) वाष्प इंजन | (3) जेम्स वॉट |
(ङ) स्पिनिंग | (1) सैम्यूल काम्पटन |
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (20 शब्दों में उत्तर दें)
1.फैक्ट्री प्रणाली के विकास के किन्हीं दो कारणों को बतायें।
उत्तर-(I)मशीनों एवं नये-नये यंत्रों के आविष्कार ने फैक्ट्री प्रणाली को विकसित किया
(II) सस्ते श्रम ने उत्पादन के क्षेत्र में फैक्ट्री प्रणाली को सहायता पहुँचाया।
2. बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर – औद्योगीकरण के फलस्वरूप ब्रिटिश सहयोग से भारत के उद्योग में पूँजी लगाने वाले उद्योगपति पूंजीपति बन गये। इसलिए समाज में वर्ग विभाजन किया गया एवं बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति
3.अठारवीं शताब्दी में भारत के मुख्य उद्योग कौन-कौन थे?
उत्तर – अठारवीं शताब्दी में भारत के मुख्य उद्योग सूत काटना , सूती वस्त्र उद्योग, लौह उद्योग, ऊन् उत्पादन इत्यादि थे।
4. निरूधोगीकरण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर – एक तरफ जहां मशीनों के आविष्कार ने उद्योग एवं उत्पादन में वृद्धि कर औद्योगीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की थी वहीं भारत में कुटीर उद्योग बन्द होने की कगार पर पहुँच गया था। भारतीय इतिहासकारों ने इसे भारत के उद्योग के लिए निरुद्योगीकरण की संज्ञा दी है।
5. औद्योगिक आयोग की नियुक्ति कब हुई? इसके क्या उद्देश्य थे?
उत्तर – आद्योगिक आयोग की नियुक्ति 1910 ई० को हुई। ताकि वह भारतीय उद्योग तथा व्यापार के भारतीय वित्त से सम्बंधित प्रयलों के लिए उन क्षेत्रों का पता लगाया जिसे सरकार सहायता दे सके।
लघु उत्तरीय प्रश्न (60 शब्दों में उत्तर दें):
1.औद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – औद्योगीकरण ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उत्पादन मशीनों द्वारा कारखानों में होता है । इसमें उत्पादन बहरा पैमाने पर होता है और जिसकी खपत के लिए बड़े बाजार की आवश्यकता होती है। किसी भी देश के आधुनिकीकरण का एक प्रेरक तत्व उसका औद्योगीकरण होता है।
2.औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया?
उत्तर- औद्योगीकरण ने नई फैक्ट्री प्रणाली को जन्म दिया, जिससे गृह उद्योगों के मालिक अब मजदूर बन गए. जिनकी आजीविका बड़े-बड़े उद्योगपतियों द्वारा प्राप्त वेतन पर निर्भर करता थी। औरतों एवं बच्चों से भी 16 से 18 घंटे काम लिये जाते थे। उस समय इंगलैंड में कानन मिल मालिन पी पक्ष में थे। मजदूरों की लाचारी यह थी कि वे अपने गृह उद्योग की तरफ लौर नहीं सकते थे, क्योंकि कल पूर्जी एवं मशीनों के आगे असाधारण गृह उद्योग का पिटर से विकसित होना असंभव था । अतः इन मजदूरों के मन में उत्तरोत्तर यह भावना होती गयी कि ये नये कारखाने उनके प्रबल शत्रु है । चूंकि इन्हीं कारखानों ने उन्हें बेरोजगार कर दिया था।
3. स्लम पद्धति की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर – औधोगीकरण न स्लम पद्धति की शुरुआत की। मजदूर शहर में, छोटे- छोटे धरो में जहाँ किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, रहने को बाध्य थे। आगे चलकर उत्पादन के उचित वितरण के लिए ये आदोलन शुरू किए। चूंकि पूँजीपतियों द्वारा उनकी बुरी तरह शोषण किया जाता था, इसलिए उन्होंने अपना सर्गठन बनाकर पूँजीपतियों के खिलाफ वर्ग संघर्ष की शुरुआत की।
4. न्यूनतम मजदूरी कानून का पारित हुआ और इसके क्या उद्देश्य थे?
उत्तर – न्यूनतन मजदूरी कानून 1945 ई0 में पास हुआ. जिसके द्वारा कुछ उद्योगों में मजदूरी की दुरै निश्चित की गई। प्रथम पंचवर्षीय योजना में इसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया तथा दूसरी योजना में तो यहाँ तक कहा गया न्यूनतम मजदूरी उनकी ऐसी होनी चाहिए जिससे मजदूर केवल अपना ही गुजारा न कर सके , बल्कि इससे कुछ और अधिक हो. ताकि वह अपनी कुशुजता को भी बनाये रख सके।
5.कोयला एवं लोह उद्योग ने औद्योगिकरण को गति प्रदान कैसे की?
उत्तर – भारत में कोयला उद्योग का प्रारम्भ सन् 1814 में हुआ, जब रानीगंज पक्षिम बंगाल में कोयले की खुदाई का काम प्रारम्भ किया गया था। रेल के विकास के साथ ही सन 1953 के बाद इसका विकास आरम्भ हुआ । इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए मशीनों का प्रयोग किया गया । नवीन उद्योग की स्थापना ने कोयले की मांग बढ़ा दी। 1868 ई० में जहाँ उत्पादन 5 लाख टन था, वहाँ 1950 में बढ़कर 3.23 करोड़ टन हो गया । सन 1907 ई० में जमशेदजी टाटा ने बिहार के साकची नामक स्थान पर टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी की स्थापना की। जमशेदजी टाटा एक ऐसे भारतीय थे, जिनमें भारतीय उद्योग की काफी सूझ-बूझ थी और 1910 ई० में उन्होंने टाटा हाइड्रो – इलेक्ट्रीक पावर स्टेशन की स्थापना की। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात लोह उद्योग ने काफी प्रगति की।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (150 शब्दों में उत्तर दें):
1.औद्योगीकरण के कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर – आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। ब्रिटेन में स्वतंत्र व्यापार और अहस्तक्षेप की नीति ने ब्रिटिश व्यापार को बहुत अधिक विकसित किया। उत्पादित वस्तुओं की मांग बढ़ने लगी। तात्कालिक ढाँचे के अन्तर्गत व्यापारियों के लिए उत्पादन में अधिक वृद्धि कर पाना असम्भव – सा था । एक तरफ बनकरों को धागे के अभाव में काफी समय तक बेकार बैठे रहना पड़ता था तो दूसरी तरफ सूत कातने बाल हमेशा ही व्यस्त रहते थे। पूरे समय काम करने वाला एक बुनकर सूत कातने वाले लोगों द्वारा तैयार किये गये धागों का उपयोग कर सकता था। ऐसी स्थिति में ऐसे परिवर्तन की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जिससे सूत का उत्पादन काफी बढ़ सके । यही वह सबसे प्रमुख कारण था, जिसकी वजह से ब्रिटेन में औद्योगीकरण के आरम्भिक वर्षों में आविष्कारों की जो एक श्रृंखला बनी , वह सूती वस्त उद्योग के क्षेत्र से अधिक सबंधित थी। नये-नये मशीनों का आविष्कार हुआ, कोयले एवं लोहे की प्रचुरता बढ़ी । बहुत तरह की फैक्ट्री प्रणाली की शुरुआत हुई । सस्ते अमिक भी काफी मात्रा में उपलब्ध हुए । यातायात की सुविधा में बढ़ोत्तरी हुई। 1850 के बाद जब भारत में कारखानों की स्थापना होनी शुरू हुई तब यही बेरोजगार लोग गायों से शहरों की तरफ आ गये, जहाँ उन्हें मजदूर के रूप में रख लिया जाता था । एक तरफ जहाँ मशीनों के आविष्कार ने उद्योग एवं उत्पादन में वृद्धिकर औद्योगीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की थी, वहीं भारत में कुटीर उचोग बन्द होने की कगार पर पहुँच गया था।
2.औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों पर प्रकाश डालें।
उत्तर – सन् 1850 से 1950 ई. के बीच भारत में वस्त्र उद्योग, लौह उद्योग, सीमेन्ट उद्योग, कोयला उद्योग जैसे कई उद्योगों का विकास हुआ। जमशेदपुर सिन्द्री, धनबाद तथा डालमियानगर आदि नये व्यापारिक नगर तत्कालीन बिहार राज्य में कायम हुए। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों का कायम हो जाने से प्राचीन गृह उद्योग का पतन आरम्भ हो गया। हाथ से तैयार किया माल मंहगा पड़ने लगा, उसकी बिक्री खत्म होने लगी, नतीजा यह हुआ कि प्राचीन उद्योगों के जोद होने लगा। औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप इंग्लैंड में हाथ के करघे से काम करने वाले पुराने बनकरों की तबाही के साथ-साथ विकल्प के रूप में उस स्तर के किसी नये उद्योग का विकास नहीं हुआ । दामा मुर्शिदाबाद , सूरत आदि पर औद्योगीकरण का बुरा प्रभाव पड़ा। औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर उत्पादन होना शुरू हो गया, जिसकी खपत के लिए यूरोप में उपनिवेशों की होड़ शुरू हो गयी और आगे चलकर इस उपनिवेशवाद ने साम्राज्यवाद का रूप ले लिया । औद्योगीकरण के फलस्वरूप ब्रिटिश सहयोग से भारत के उद्योग में पूँजी लगाने वाले उद्योगपति पूंजीपति बन गये। औद्योगीकरण ने एक नये तरह के राजदूर की भी जन्म दिया। औद्योगीकरण ने स्लम पद्धति र आत की। मजदूर शहर में छोटे-छोटे घरो में, जहाँ किसी तरह की शुविधा उपलब्ध नहीं थी, रहने को बाध्य थे।
3. उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं? औद्योगीकरण ने उपनिवेशवाद को जन्म दिया कैसे?
उत्तर – मशीनों के आविष्कार तथा फैक्ट्रियों की स्थापना से उत्पादन में काफी वृद्धि हुई। उत्पादित वस्तुओं की खपत के लिए ब्रिटेन तथा आगे चलकर यूरोप के अन्य देशों को जहाँ कारखानों की स्थापना हो चुकी थी. बाजार की आवश्यकता पड़ी। इससे उपनिवेशवाद को बढ़ावा मिला । इसी क्रम में भारत ब्रिटेन के एक विशाल उपनिवेश के रूप में उभरा । संसाधन की प्रचुरता ने उन्हें भारत की तरह व्यापार करने के लिए आकर्षित किया। भारत सिर्फ प्राकृतिक एवं कृत्रिम संसाधनों में ही सम्पन्न नहीं था, बल्कि यह उनका एक वृहत् बाजार भी साबित हुआ ।वर्ग के लिए 30 अठारहवीं शताब्दी तक भारतीय उद्योग विश्व में सबसे अधिक विकसित थे। भारत विश्व का सबसे बड़ा कार्यशाला था, जो बहुत ही सुन्दर एवं उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन करता था। लेकिन मजदूरों को न्यूनतम जीवन निर्वाह योग्य भी मजदूरी नहीं दी जाती थी। सन् 1813 ई० में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित चार्टर ऐक्ट व्यापार पर से ईस्ट इंडिया कम्पनी का एकाधिपत्य समाप्त कर दिया और स्वतंत्र व्यापार की नीति का मार्ग प्रशस्त किया गया।
4.कुटीर उद्योग के महत्त्व एवं उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालें।
उत्तर – राष्ट्रीय आन्दोलन विशेषकर स्वेदशी आन्दोलन के समय इस उद्योग की अग्रणी भूमिका रही। अतः इसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता । महात्मा गाँधी ने कहा था कि लघु एवं कुटीर उद्योग भारतीय सामाजिक दशा के अनुकूल है। ये राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाहित करते हैं। कुटीर उद्योग उपभोक्ता वस्तुओं, अत्यहि एक को रोजगार तथा राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय आय का अत्यधिक समान वितरण सुनिश्चित करते हैं । सामाजिक, आर्थिक व तत्सम्बन्धी मुददों का समाधान इन्हीं उद्योगों से होता है। यह सामाजिक, आर्थिक प्रगति व संतुलित विकास के लिए एक शक्तिशाली औजार है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन उद्योगों की प्रगति बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर को बढ़ाती है, कौशल में वृद्धि तथा उपयुक्त तनकीक का बेहतर प्रयोग सुनिक्षित करती है। कुटीर उद्योग जनसंख्या के बड़े शहरों में प्रवाह को रोकता है।
5. औद्योगीकरण ने सिर्फ आर्थिक ढाँचे को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि राजनैतिक परिवर्तन का भी मार्ग प्रशस्त किया, कैसे?
उत्तर – औद्योगीकरण ने सिर्फ आर्थिक ढाँचे को ही प्रवाहित नहीं किया बल्कि राजनैतिक परिवर्तन का भी मार्ग प्रशस्त किया । उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन की औद्योगिक नीति ने जिस तरह औपनिवेशिक शोषण की शुरुआत की । भारत में राष्ट्रवाद की नींव उसका प्रतिफल था । यही कारण था कि जब महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की तो राष्ट्रवादियों के साथ अहमदाबाद एवं खेड़ा मिल के मजदूरों ने उनका साथ दिया। महात्मा गाँधी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर बल डालते हुए कुटीर उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया तथा उपनिवेशवाद के खिलाफ उसका प्रयोग किया। पूरे भारत में मिलों में काम करने वाले मजदूरों ने भारत छोड़ो आन्दोलन में उनका साथ दिया। अतः औद्योगीकरण ने जिसकी शुरुआत एक आर्थिक प्रक्रिया के तहत हुई थी. भारत में राजनैतिक एवं सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया।