अध्याय:2भौतिक स्वरुप एवं महत्व (Class-9,Geography)

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

1.निम्नलिखित में कौन-सी चोटी भारत में नहीं है?

(क) केर

(ख) कामेट

(ग) माउंट एवरेस्ट 

(घ) नंदा देवी

उत्तर-(ग)

2.बिहार के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर हिमालय की कौन-सी श्रेणी है?

(क) महान हिमालय

(ख) शिवालिक

(ग) मध्य हिमालय

(घ) पूर्वी हिमालय

उत्तर-(ख)

3.हिमालय के निर्माण में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है?

(क) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत

(ख) भूमंडलीय गतिशीलता सिद्धांत

(ग) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत

(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर-(ग)

4.सैडल चोटी की ऊँचाई है?

(क)515 मी. 

(ख) 460 मी०

(ग) 642 मी.

(घ) 798 मी.

उत्तर-(ग)

5.भारत का सबसे प्राचीन भूखण्ड

(क) प्रायद्वीपीय पठार

(ख) विशाल मैदान

(ग) उत्तर का पर्वतीय भाग

(घ) तटीय मैदान

उत्तर-(क)

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. हिमालय की तीन समान्तर श्रेणियों के नाम लिखें।

उत्तर-हिमालय की तीन समान्तर श्रेणियाँ हैं

(i) सबसे उत्तरी भाग में स्थित श्रृंखला को महान या आंतरिक हिमालय या हिमालय कहते हैं।

(ii) महान हिमालय के समानान्तर दक्षिण में स्थित श्रृंखला को लघु हिमालय अथवा मध्य हिमालय कहते हैं।

(iii) हिमालय के सबसे दक्षिणी श्रृंखला को बाहरी हिमालय, उपहिमालय अथवा शिवालिक कहा जाता है।

प्रश्न 2. काराकोरम के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर का नाम क्या है?

उत्तर-काराकोरम के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर का नाम-माउंट गाडविन, आस्टिन।

प्रश्न 3. कोन-सा तटीय मैदान अपेक्षाकृत अधिक चौड़ा है?

उत्तर-पूर्वी तटीय मैदान, पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षाकृत अधिक चौड़ा है। इसकी चौड़ाई 160-350 कि.मी. है।

प्रश्न 4. तटीय मैदान में स्थित झीलों के नाम लिखें।

उत्तर-पश्चिम तटीय मैदान की झीलों में नेम्बा नद तथा पूर्वी तटीय मैदान की झीलों में चिटका, पुलिकट तथा कोलेरू प्रमुख है |

प्रश्न 5. पश्चिमी घाट पर्वत का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर-पश्चिमी घाट पर्वत का दूसरा नाम सहयाद्रि की पहाड़ियाँ हैं।

प्रश्न 6. मध्य गंगा के मैदान की चार विशेषताओं के नाम बताएँ।

उत्तर-मध्य गंगा के मैदान की चार विशेषताएँ निमन्लिखित है 

(i) इसकी लंबाई 1400 कि. मी. तथा चौड़ाई 140-500 कि० मी. है।

(ii) इस मैदान में पुरानी तलछट की परतें पाई जाती हैं जिसे बाँगर कहते हैं।

(iii) इस मैदान में नई तलछट की परतें भी पाई जाती हैं जिसे खादर कहते हैं।

(iv) ब्रह्मपुत्र के साथ मिलकर गंगा अपने मुहाने पर खेल्य बनाती है जो संसार में सबसे बड़ा है।

प्रश्न 7. हिमालय और प्रायद्वीपीय पर्वतों के दो प्रमुख अन्तर बताएँ।

उत्तर-हिमालय और प्रायद्वीपीय पर्वतों के दो प्रमुख अन्तर निमन्लिखित है 

१.हिमालय पर्वत प्रायद्वीपीय पर्वतों की अपेक्षा अधिक ऊँचे हैं।

२.हिमालय पर्वत प्रायद्वीपीय पर्वतों की अपेक्षा अधिक लंबे हैं।

प्रश्न 8. “खादर” और “बांगर’ किसे कहते हैं?

उत्तर-खादर और बांगर में अन्तरखादर-नम कछारी भाग, जो निचले मैदान हैं और जहाँ बाढ़ का जल प्रतिवर्ष पहुँचकर नयी मिट्टी को परत जमा कर देता है, खादर कहलाता है।

बांगर-गंगा के मैदान में जहाँ नदियों द्वारा पुरानी मिट्टी के ऊँचे मैदान बन गए हैं वहाँ नदियों के बाद का जल नहीं पहुंच पाता है उसे बांगर कहते हैं।

प्रश्न 9. पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में अन्तर बताए।

उत्तर-पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में अन्तर निमन्लिखित है |

पूर्वी घाट

  • यह उत्तर में गंगा के मुहाने से दक्षिण में कन्या कुमारी अंतरीप तक फैला है।
  •  इसकी चौड़ाई 160-350 किलोमीटर है। नदियां धीमी गति से बहती है जिसके कारण मिट्टी का जवाब होता है।

पश्चिमी घाट

  • यह उत्तर में खंभात की खाड़ी से लेकर दक्षिण में कन्या कुमारी अंतरीप तक फैला है।
  • इसकी औसत चौड़ाई 10.60 किलोमीटर है। नदियां अधिक तीव्र गति से बहती है जिसके कारण मिट्टी का जमाव नहीं हो पाता है

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताओं को लिखें।

उत्तर-भारत में विशाल मैदान का निर्माण हिमालय पर्वत के दक्षिण और दक्षिणी पठार के उत्तर तीन प्रमुख नदी प्रणालियों और उसकी सहायक नदियों से मिलकर बना है। यह मैदान जलोढ़ मिट्टी से बना है। यह भारत ही नहीं विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ और घनी जनसंख्या वाता मैदान है। यह 7 लाख वर्ग किलोमीटर है। पश्चिम से पूर्व इसकी लम्बाई 2400 किमी है और इसकी चौड़ाई 150-500 किमी है। यह मैदान सामान्यतः समुद्र तल से 240 मीटर से अधिक ऊँचा नहीं है। इस मैदान के चार उपभाग हैं() पंजाब का मैदान (1) राजस्थान का मैदान (ii) गंगा का मैदान (iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान (v) पंजाब का मैदान-सिंधु और इसकी सहायक नदियों के द्वारा बना भाग पक्षिम मैदान या पंजाब का मैदान कहलाता है। भारत में पंजाब और हरियाणा का पश्चिम हिस्सा इसमें शामिल है। इस भाग में हिमालय से निकलने वाली और इसकी सहायक नदियाँ-झेलम, चेनाब, रावी, व्यास तथा सतानुज हैं। रावी और व्यास के दोआब को ऊपरी बारी को दोआब कहते हैं तथा व्यास और सतलुज के बीच के दोआब को विस्ट दोआब कहते हैं। इस मैदान की औसत ऊंचाई 130 से 300 मीटर तक है तथा सामान्य ढाल उत्तर-पूर्व से दक्षिणपश्चिम की ओर है। (1) राजस्थान का मैदान-विशाल मैदान का दूसरा उपभाग राजस्थान का मैदान है। इसकाविस्तार अरावली पर्वत के पक्षिम में है और यह मुख्यतः अर्द्धशुष्क और शुष्क प्रदेश है। बालुका स्तूप यहाँ की प्रमुख स्थलाकृति है। इस मैदान के पूर्वी भाग में कई पहाड़ियाँ हैं जिन्हें टोर कहते हैं। लूनी इस प्रदेश की प्रमख नदी है और यह वर्षा के दिनों में कच्छ के रन तक जाती है। इस प्रदेश में सांवर, डेगना, दिदवाना तथा कचापन जैसे प्रसिद्ध खारे पानी के झील हैं। (ii) मध्यवर्ती मैदान या गंगा का मैदान-इसका विस्तार यमुना नदी से लेकर पूर्व में बंगलादेश की पक्षिमी सीमा तक है। यह घघ्पर से तिस्ता नदी तक लगभग 1400 किमी. लप्या है। इसकी ढाल उत्तर-पशिम से दक्षिण-पूर्व की और है। इस विस्तृत मैदान को तीन उपभागों में बाँटा गया है। ऊपरी गंगा का मैदान जिसके अंतर्गत दिल्ली से इलाहाबाद तक का क्षेत्र, मध्यवर्ती गंगा का मैदान जिसके अंतर्गत इलाहाबाद से फरक्का तक का क्षेत्र, निचली गंगा का मैदान जिसके अंतर्गत गंगा का डेल्टा प्रदेश आता है। बिहार राज्य का अधिकतर भाग गंगा

और सहायक नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों से बना है। बिहार में यह दो भागों में बँटा है-उत्तरी गंगा का मैदान जिसकी प्रमुख नदियाँ गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानन्दा हैं तथा दक्षिणी गंगा का मैदान जिसकी प्रमुख नदियाँ सोन, पुनपुन, फला चानन हैं। (M) ब्रह्मपुत्र का मैदान इसका विस्तार राज्य में सदिया के उत्तर-पूर्व से होकर धुवरी स्थान तक लगभग 650 किमी लम्बा है। इसके पश्चिमी भाग को छोड़कर सभी ओर ऊँचे पहाड़ी भाग हैं। ब्रह्मपुत्र नदी इस मैदान के मध्य से होकर गुजरती है। नदियों द्वारा पर्वत से नीचे उतरते समय शिवालिक ढाल पर 8-16 किमी की चौड़ी पड़ी के रूप में छोटे-बड़े पत्थर जमा हो जाते हैं जिन्हें हम “भाबर कहते हैं। गंगा के मैदान में जहाँ नदियों के बाढ़ का पानी ऊँचाई की वजह से नहीं पहुंच पाता उसे खादर कहते हैं। इनका प्रत्येक वर्ष पुनर्नवीकरण होता है। इसलिए यह कृषि के लिए आदर्श एवं उपजाऊ है।

प्रश्न 2. प्रायद्वीपीय पठार को विभाजित कर किसी एक की चर्चा विस्तार से करें।

उत्तर-प्रायद्वीपीय पठार त्रिभुजाकार आकृति का है तथा प्राचीन गोंडवाना भूमि का अंश है। इसकी औसत ऊंचाई 600-900 मीटर है। इसके उत्तर में अरावली, विध्याचल एवं सतपुड़ा की पहाड़ियाँ हैं। पक्षिम में पक्षिम घाट पर्वत तथा पूर्व में पूर्वी घाट की पहाड़ियों हैं। इस पठारी भाग के मुख्यतः दो भाग हैं(1) मध्य उच्च भूमि (i) दक्कन का पठार। दक्कन का पठार-दक्कन के पठार को दक्कन ट्रैप भी कहते हैं। इसका विस्तार लगभग 5 लाख वर्ग कि. मी. में है तथा यह लावा निर्मित है। यहाँ लावा की अधिकतम गहराई लगभग 2134 मीटर है। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के अधिकांश भाग, पश्चिमी आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक तथा तमिलनाडु के कुछ भाग आते हैं। पक्षिमी घाट पर्वत उत्तर में तामी पदी के बार तट से प्रारम्भ होकर दक्षिण में कन्याकुमारी अन्तरीप तक फैला है जिसकी लम्बाई लगभग 1600 किमी. है। इसे सहयादि की पहाड़ियाँ भी कहते हैं। यहाँ चार प्रमुख दर्रे भी हैं जिन्हें धालघाट, भोरघाट, पालघाट और शिनकोटा कहते हैं। दक्षिण की ओर पक्षिमी घाट पर्वत नीलगिरि पर्वत द्वारा पूर्वी घाट से मिल जाता है। जिसकी सबसे ऊंची चोटी दोदा बेटा 2670 मीटर ऊँची है। लेकिन द भारत की सर्वोच्च चोटी दोदा बेटा नहीं बल्कि अन्नामुडी (2695 मी०) है जो अन्नामलाई की पहाड़ी पर स्थित है। पूर्वी घाट पर्वत, पूर्वी समुद्र तटीय मैदान के समानान्तर महानदी की घाटी से दक्षिण में नीलगिरि तक फैले हैं जिसकी लंबाई 1800 कि० मी. है। यह पश्चिमी घाट पर्वत की अपेक्षा अधिक कॅटे-छंटे तथा पहाड़ियों के रूप में हैं। उड़ीला में महेन्द्र गिरि, आन्ध्रप्रदेश में नलामलई, मालकोंडा तमिलनाडु में अन्नामलाई, पचामलाई, शिवराय, पलनी, बेलगिरी प्रमुख पहाड़ियाँ हैं। ये पहाड़ियाँ महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों द्वारा पृथक होती है।

प्रश्न 3 . हिमालय पर्वत श्रृंखला की विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर-हिमालय पर्वत श्रृंखला भारत की उत्तरी सीमा पर फैला हई है जो बनावट के दृष्टिकोण से वलित पर्वत श्रृंखला है। ये पर्वत श्रृंखला पक्षिम से पूर्व दिशा में सिन्धुएवं ब्रह्मपुत्र के बीच करीब 2500 कि० मी० में फैली है। इसका क्षेत्रफल लगभग 5 लाख वर्ग कि मी० है। यह विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है। इसकी चौड़ाई कश्मीर में 500 कि० मी० एवं अरुणाचल में मात्र 160 कि० मी० है। पूर्वी घाट में ऊँचाई में विविधता के कारण इसकी तीन समानान्तर सबसे उत्तरी भाग में स्थित श्रृंखला को आंतरिक हिमालय या हिमादि कहते हैं। इसकी औसत ऊँचाई 6100 मीटर है। इसके शिखर सर्वाधिक ऊँचे हैं। इसका उपरी भाग हमेशा बर्फ से ढंका रहता है। जम्मू कश्मीर के उत्तर में कुछ अन्य श्रेणियाँ भी हैं जिसमें जॅस्कार पर्वत श्रेणी तथा काराकोरम पर्वत श्रेणी है। इसमें काराकोरम पर्वत श्रेणी जिसे ट्रांस हिमालय भी कहते हैं, भारत का सबसे ऊँचा तथा विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। इसे गाडविन आस्टीन तथा गौरीनन्दा पर्वत भी कहते हैं। महान हिमालय के समानान्तर दक्षिण में स्थित श्रृंखला को लघु हिमालय कहते हैं। यह हिमालय की सबसे खंडित श्रेणी है। इसकी ऊंचाई 1800 मीटर से 4500 मी० तथा औसत चौड़ाई 50 कि. मी. है। कुछ चोटियाँ 5000 मीटर से अधिक ऊँची हैं, शीत ऋतु में यहाँ 3-4 महीने तक बर्फ गिरती है। कश्मीर की पीरपंजल श्रेणी इसी का एक भाग है। यहाँ के पर्यटन स्थलों में कश्मीर की घाटी, शिमला, मसूरी, नैनिताल, दार्जिलिंग आदि प्रमुख हैं। हिमालय की सबसे दक्षिणी श्रृंखला को बाहरी हिमालय या शिवालिक कहा जाता है। यह हिमालय की सबसे निचली श्रृंखला है। यह पक्षिम में पोतवार के पठारी क्षेत्र से प्रारम्भ होकर पूरब की ओर तिस्ता नदी तक फैला है। इसकी औसतन ऊँचाई 900-1500 मी० के बीच तथा चौड़ाई 10-50 कि. मी. है। इसमें कुछ विस्तृत घाटियाँ भी हैं जिन्हें दून या द्वार कहते हैं। जैसे देहरादून, कोटलीतून एवं पाटलीदून, बुटवाल, काँगड़ा घाटी, अलीपुर द्वार इत्यादि। बिहार के लगभग 856 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में इसका विस्तार है जिन्हें सोमेश्वर की पहाड़ियों कहते हैं। इसके अतिरिक्त हिमालय को पक्षिम से पूर्वी क्षेत्र तक नदी घाटियों की सीमा के आधार पर विभाजित किया जाता है। सतलुज तथा काली नदियों के बीच स्थित भाग को कुमायुं हिमालय, काती तथा तिस्ता नदियाँ नेपात हिमालय का एवं तिस्ता तथा दिहांग नदियाँ असम हिमालय का सीमांकन करती हैं। ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय की पूर्वी सीमा बनाती है। दिहांग के बाद हिमालय दक्षिण की ओर एक तीखा मोड़ बनाते हुए भारत की पूर्वी सीमा के साथ फैल जाता है जिसे पूर्वी पहाड़ियों कहते हैं। इनमें पूर्वांचल की पटकोई, नागा, तुसाई तथा मणिपुर की पहाड़ियाँ शामिल हैं।