अध्याय :3 फ्रांस की क्रांति (Class-9,History)

लघु उत्तरिये प्रश्न 

1.  फ़्रांस की क्रांति के राजनैतिक कारण क्या थे ?

उत्तर : फ़्रांस की निरंकुश और केंद्रीकृत राजतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में लुई XVI जैसे अयोग्य शासक का होना, रानी मेरी एन्तोएनेत  का राजनीती में प्रभाव,संसद  की बैठक का न बुलाया जाना,शासन में जनता की भूमिका का न होना अर्थात स्तायता शासन का आभाव जैसे राजनितिक परिस्थितियों फ़्रांस की क्रांति के प्रमुख राजनितिक कारण थे |

2. फ़्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे ?

उत्तर : अठारवी शताब्दी में फ़्रांसिसी समाज तिन श्रेणी (Estates) में बता हुआ था | प्रथम श्रेणी में पादरी और  द्वितीय श्रेणी में कुलीन वर्ग था तथा तृतीय श्रेणी में सामान्य वर्ग था जिसके अंतर्गत डॉक्टर वकील शिक्षक व्यापारी किसान मजदुर आदि सभी आते थे |प्रथम दो वर्ग के पास सिर्फ अधिकार था तथा तृतीय श्रेणी के पास सिर्फ कर्तब्य इन्हे ही स्वामी की सेवा,खेतो में काम,सैन्य सेवा,सड़क निर्माण तथा कर की अदायगी करना पड़ता था यह तृतीय श्रेणी अर्थात मध्यवर्ग सुयोग्य एवं संपन होते हुए भी कुलीनों  जैसा सामाजिक सम्मान प्राप्त नही था तथा राजनीतिक अधिकार से स्तिथी दयनीय थी यही सामाजिक असंतोष और आर्थिक विपंनता फ़्रांस की क्रांति के प्रमुख सामाजिक कारण थे |

3. फ्रांस के क्रांति के आर्थिक कारणों पर प्रकाश डाले |

उत्तर : विदेशी युद्ध और अपव्य ने फ़्रांस की आर्थिक स्तिथि डामाडोल कर दी थी |पर्तिवर्ष आय से अधिक वयय होता था |इसीलिए राजकोष के घटे की भरपाई के लिए जनता पर तरह तरह के कर लगाये गये थे किसानो पर भूमि कर के अलावा धार्मिक कर भी चुकाना पड़ता था तथा साथ में कई अप्रत्यक्ष कर ,टोल टैक्स नजराना आदि भी जामंती कर के रूप में उन्हें देना पड़ता था अवय्वशासन वयवस्था ने फ़्रांस के व्यापारिक जीवन को भी पंगु बना दिया था गिल्ड की पाबन्दी प्रन्तिये आयत कर से वायापरियो में असंतोष उत्पन हुआ जिससे वायाप्री चाहते थे देश का वयापार हर तरह के बन्धनों से मुक्त कर दिया जाये औधोगित क्रांति के कारण बेरोजगारी की समस्या ने भी फ़्रांस की आर्थिक स्तिथि  को दयनीय बनाने में अहम् भूमिका अदा की इन्होने क्रांति के समय राजा के खिलाफ क्रांतिकारियों का साथ दिया |

4. फ़्रांस की क्रांति के बौधिक कारणों का उल्लेख करे ?

उत्तर : फ़्रांसिसी बुधिजीवियों ने फ़्रांस में बौधिक आन्दोलन का शुरुआत किया बुधिजीवि वर्ग के लोग ने तत्कालीन राजनैतिक समाजिक आर्थिक दोषों का पर्दाफाश किया और जनमानस में आक्रोश पैदा किया |इनमे प्रमुख मंतेस्क्यु,वाल्टेयर ,रूसो  थे |

 प्रश्न 5. ‘लेटर्स-दी-कैचेट से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-फ्रांस में वैयक्तिक स्वतंत्रता नहीं थी। राजा या उसका आदमी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता था। इसके लिए फ्रांस में बिना अभियोग की गिरफ्तारी वारंट होता था जिसको लेटर्स-द-कैचेट’ कहते थे।

प्रभ6. अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर-अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में लजायते के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने इंग्लैंड केविरुद्ध भाग लिया था जिससे वहाँ गणतांत्रिक शासन की स्थापना हुई । फ्रांस की जनता के लिए इसने प्रेरणा स्रोत का कार्य किया। इससे फ्रांस की क्रांति को बल मिला।

प्रश्न 7. ‘मानव एवं नागरिकों के अधिकार से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-मानव एवं नागरिकों के अधिकार का अर्थ है, नागरिकों को दिया जानेवाला स्वतंत्रता का अधिकार । हर देश में नागरिकों को मतदान का अधिकार, भाषण, लेखन, विचार की अभिव्यक्ति करने का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार । किसी भी इन्सान को अपने ढंग से अपनी जिन्दगी जीने का अधिकार।

प्रश्न 8. फ्रांस की क्रांति का इंग्लेंड पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर-फ्रांस की क्रांति का इंग्लैंड पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा । इस क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड की जनता ने भी सामन्तवाद के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी जिसके फलस्वरूप 1832 ई. में संसदीय सुधार अधिनियम पारित हुआ। वहाँ के जमीन्दारों की शक्ति समाप्त कर दी गयी और जनता के लिए अनेक सुधारों की शुरुआत हुई।

प्रश्न 9.फ्रांस की क्रांति ने इटली को प्रभावित किया, कैसे?

उत्तर-फ्रांस की क्रांति ने इटली को बहुत प्रभावित किया । इस क्रांति के बाद इटली के विभिन्न भागों में नेपोलियन ने अपनी सेना को एकत्रित कर लड़ाई की तैयारी की और इटली राज्य स्थापित किया । एक साथ मिलकर युद्ध करने में राष्ट्रीयता की भावना आई।

प्रश्न 10. फ्रांस की क्रांति से जर्मनी कैसे प्रभावित हुआ?

उत्तर-फ्रांस की क्रांति से जर्मनी भी बहुत हद तक प्रभावित हुआ । जर्मनी पहले 300 छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था । पर नेपोलियन के प्रभाव से 38 राज्यों में सीमित हो गया । इस क्रांति से जर्मनी के लोगों ने ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’, एवं बन्धुत्व की भावना को अपनाया।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(i) लुई xVI सन्…ई० में फ्रांस की गद्दी पर बैठा । उत्तर-1774

(ii)………. लुईxvI की पत्नी थी। उत्तर-मेरी अन्तोयनेत

(iii) फ्रांस की संसदीय संस्था को…….कहते थे। उत्तर-स्टेट्स जेनरल

(iv) ठेका पर टैक्स वसूलने वाले पूँजीपतियों को …… कहा जाता था। उत्तर-टैक्स-फार्मर

(v)……के सिद्धान्त की स्थापना मांटेस्क्यू ने की । उत्तर-शक्ति पृथक्करण

(vi) ……की प्रसिद्ध पुस्तक सामाजिक संविदा’ है। उत्तर-रूसो

(vii) 27 अगस्त, 1789 को फ्रांस की नेशनल एसेम्बली ने……. की घोषणा की। उत्तर-मानव और नागरिकों के अधिकार

(viii) जैकोबिन दल का प्रसिद्ध नेता…….था। उत्तर-मैक्समिलन रॉब्सपियर

(ix) दास प्रथा का अन्तिम रूप से उन्मूलन….ई० में हुआ। उत्तर-1848

(x) फ्रांसीसी महिलाओं को मतदान का अधिकार सन् ……. ई. में मिला । उत्तर-1846

(दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे?

उत्तर-फ्रांस की क्रांति के निम्नलिखित कारण थे:

(1) राजनेतिक कारण:

(क) लुई XVI सन् 1774 ई. में गद्दी पर बैठा था जो कि निरंकुश, फिजूलखर्ची और अयोग्य शासक था। उसकी पत्नी मेरी अन्तोयनेत भी बहुत खर्चीली थी। वह उत्सवों पर बहुत पैसे लुटाती थी। महल में पन्द्रह हजार अधिकारी बिना काम किए पैसे उठाते थे। राज्य का 9 प्रतिशत राजस्व इन्हीं पर खर्च होता था। फलत: फ्रांस की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी।

(ख) फ्रांस में निरंकुश राजतंत्र पर नियंत्रण का अभाव था, जिस कारण वहाँ स्टेट्स जेनरल जो एक संसदीय संस्था थी जिसकी बैठक 175 वर्षों तक नहीं बुलई गई।

(ग) फ्रांस में स्वायत्त शासन का अभाव था । वहाँ वर्साय के राजमहल की प्रधानता थी।

(घ) राजा की पत्नी मेरी अन्तोयनेत के द्वारा शासन का दुरुपयोग किया जाता था। जिस कारण वहाँ की जनता राजतंत्र के बिल्कुल खिलाफ हो गई थी।

(2) सामाजिक कारण :

(क) फ्रांस के मध्यम वर्ग के लोगों में बहुत असंतोष था और इसका कारण था-सुयोग्य एवं सम्पन्न होते हुए भी उन्हें कुलीनों जैसा सामाजिक सम्मान नहीं मिलता था। उन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा जाता था।

(ख) कुलीन वर्ग के लोगों के द्वारा मध्यम वर्ग के लोगों के साथ असमानता का व्यवहार किया जाता था । यह बात उन्हें अपमानजनक लगती थी । मध्यम वर्ग के द्वारा फ्रांस की क्रांति में समानता’ का नारा दिया गया था।

(ग) फ्रांसीसी समाज में कृषकों की स्थिति बहुत दयनीय थी। उन्हें अनेक प्रकार के करों को देना पड़ता था।

(3) आर्थिक कारण:

(क) विदेशी युद्धों और अपव्ययों के कारण फ्रांस की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी, जिसे सुधारने के लिए जनता पर करों का बोझ डाल दिया गया था और कर वसूलने का तरीका भी असमानता और पक्षपात पर आधारित था।

(ख) किसानों के ऊपर भूमि कर लगाया गया था। इसके अलावे उन्हें टीथे नामक धार्मिक कर चर्च को देना पड़ता था। इसके अलावे उन्हें सामन्ती कर के साथ-साथ दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर भी कर देना पड़ता था। जिस कारण वहाँ की जनता की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी थी।

(ग) औद्योगिक क्रांति शुरू होने की वजह से वहाँ मशीनों का उपयोग होने लगा था, फलस्वरूप वहाँ के घरेलू उद्योग-धन्धे नष्ट होने लगे जिससे वहाँ बेरोजगारों की संख्या बढ़ने लगी।

(घ) अव्यवस्थित शासन व्यवस्था के कारण वहाँ व्यापारिक विनिमय में भी कठिनाइयाँ आने लगीं । वहाँ व्यापारियों पर तरह-तरह के कर लगाए गए, जैसे सामन्ती कर, गिल्ड की पाबन्दी, प्रान्तीय आयात कर इत्यादि । व्यापारी चाहते थे कि देश के व्यापार को बंधनों से मुक्त कर दिया जाय।

(4) सैनिक कारणः

(क) वहाँ पदों पर नियुक्ति में असमानता का भाव था 1 सैनिक के पद पर किसानों को बहाल किया जाता था।

(ख) वहाँ सैनिक को काम के हिसाब से वेतन कम दिया जाता था और उन पर बहुत कठोर अनुशासन लगाए जाते थे।

(ग) सैनिकों के लिए भोजन की भी वहाँ सही व्यवस्था नहीं थी।

(घ) वहाँ निम्न पदों पर किसानों को और उच्च पदों पर कुलीनों को बहाल किया जाता था।

(5) व्यक्तिगत एवं धार्मिक कारण :

(क) फ्रांस में सभी प्रकार की स्वतंत्रता का अभाव था । वहाँ भाषण, लेखन या अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने का भी अधिकार नहीं था।

(ख) वहाँ धर्म को मानने की भी स्वतंत्रता नहीं थी । वहाँ का राजधर्म कैथोलिक धर्म था। सभी को इसी धर्म को मानना था और जो लोग प्रोस्टेंट धर्म को मानते थे उन्हें कठोर सजा दी जाती थी।

(ग) वहाँ पर राजा का आदमी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता था। इसके लिए बिना अभियोग के गिरफ्तारी वारंट होता था।

(घ) वहाँ के कानूनों में एकरूपता नहीं थी, देश के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 400 कानून लागू थे।

प्रश्न 2. फ्रांस की क्रांति के परिणामों का उल्लेख करें।

उत्तर-फ्रांस की क्रांति के परिणाम:

(i) पुरातन व्यवस्था का अन्त-फ्रांस की क्रांति के बाद वहाँ सामन्तवाद का अंत हो गया। वहाँ पुरातन व्यवस्था की समाप्ति हो गई और आधुनिक युग का जन्म हुआ जिसमें स्वतंत्रता समानता’ तथा बन्धुत्व को प्रोत्साहन दिया गया।

(ii) धर्मनिरपेक्ष राज्य-फ्रांस की क्रांति के वहाँ धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना हुई । वहाँ जनता को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई।

(iii) जनतंत्र की स्थापना-इस क्रांति में वहाँ से राजा के दैनिक अधिकार के सिद्धान्त को समाप्त कर जनतंत्र की स्थापना करवाई।

(iv) व्यक्ति की महत्ता-फ्रांस की नेशनल एसेम्बली ने वहाँ के नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए तथा उनके कर्तव्यों की घोषणा की।

(v) समाजवाद का प्रारम्भ-इस क्रांति के साथ ही वहाँ समाजवाद का उदय हुआ। जैकोविन्स ने सामान्य जनता के अधिकारों की रक्षा की और गरीबों का पक्ष लिया। उनके राजनैतिक अधिकारों की घोषणा की।

(vi) वाणिज्य व्यापार में वृद्धि-क्रांति के बाद वहाँ के व्यापारियों पर से कई प्रकार के व्यापारिक प्रतिबन्ध, जैसेगिल्ड प्रथा, प्रान्तीय आयात कर इत्यादि हटा दिए गए जिससे वहाँ व्यापार का तेजी से विकास हुआ।

(vii) दास प्रथा का उन्मूलन-इस क्रांति ने फ्रांस से दास प्रथा को समाप्त कर दिया। सन् 1794 ई० में कन्वेन्शन ने ‘दास मुक्ति कानून पारित किया जिसे नेपोलियन ने समाप्त कर दिया। पर पुनः 1848 ई. में अन्तिम रूप से वहाँ उपनिवेशों से दास प्रथा को समाप्त किया गया।

(viii) सरकार पर शिक्षा का उत्तरदायित्व-फ्रांस में क्रांति के पहले तक शिक्षा का प्रबन्ध चर्च में था । पर क्रांति के बाद वहाँ सरकार के द्वारा पेरिस विश्वविद्यालय तथा कई शिक्षण एवं शोध संस्थान खोले गए।

(ix) राष्ट्रीय कलेंडर-क्रांति के बाद फ्रांस में ऋतुओं के आधार पर बारह महीनों में बँटा कलेंडर लागू किया गया और उसका नाम ब्रुमेयर, धर्मिडार आदि रखा गया।

(x) महिला आन्दोलन-फ्रांस की क्रांति ने महिलाओं को अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए जागरूक किया जिसके कारण आगे चलकर कितने दिनों तक महिला आंदोलन चलता रहा जिसके फलस्वरूप 1846 ई. में वहाँ की महिलाओं को मताधिकार का अधिकार मिला।

प्रश्न 3. फ्रांस की क्रांति एक मध्यमवर्गीय क्रांति थी । कैसे?

उत्तर-अठारहवीं शताब्दी में फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में बँटा हआ था-पादरी, अभिजात वर्ग तथा मध्यम वर्ग, इनमें पादरी तथा अभिजात वर्ग को कुलीन वर्ग कहते थे तथा इन्हें कई प्रकार के विशेषाधिकार प्राप्त थे। फ्रांस की कुल भूमि का 40% इन्हीं के पास था । दूसरी ओर 9096 जनता मध्यम वर्ग की थी। इन्हें किसी प्रकार का विशेषाधिकार प्राप्त नहीं था । डाक्टर, वकील, शिल्पी एवं मजदूर आदि इसी वर्ग में आते थे। मध्यम वर्ग में सबसे ज्यादा असंतोष था क्योंकि सुयोग्य एवं सम्पन्न होते हुए भी उन्हें कुलीनों जैसा सम्मान प्राप्त नहीं था । समपन्नता एवं उन्नति के वाबजूद वे सभी प्रकार के राजनीतिक अधिकारों से वंचित थे। राज्य के सभी ऊँचे ओहदे कुलीनों के लिए सुरक्षित थे, कुलीन वर्ग के लोग मध्यम वर्ग के साथ बहुत बुरा बतोव करते थे। इसलिए मध्यम वर्ग ने फ्रांस की क्रांति ने अहम भूमिका निभाई जिसकी वजह से फ्रांस की क्रांति एक मध्यमवर्गीय क्रांति थी।

प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति में वहाँ के दार्शनिकों का क्या योगदान था?

उत्तर-फ्रांस की क्रांति में फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों ने फ्रांस में बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात किया। इनमें प्रमुख मांटेस्क्यू, वाल्टेयर तथा रूसो थे। मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक विधि की आत्मा” में सरकार के तीन अंगों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के अलग-अलग रखने के विषय में बताकर शक्ति पृथक्करण के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया । वाल्टेयर राजतंत्र प्रजा हित में होना चाहिए, का प्रबल समर्थक था । मांटेस्क्यू और वाल्टेयर सुधार चाहते थे लेकिन रूसो पूर्ण परिवर्तन चाहता था। उसने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सामाजिक संविदा में राज्य को व्यक्ति द्वारा निर्मित संस्था और सामान्य इच्छा का संप्रभुमाना। अत: वह जनतंत्र का समर्थक था।

प्रश्न 5. फ्रांस की क्रांति की देनों का उल्लेख करें।

उत्तर-फ्रांस की क्रांति की देनें:

(i) फ्रांस की क्रांति ने सामन्तवाद का अंत किया तथा आधुनिक युग को जन्म दिया जिसमें समानता, स्वतंत्रता तथा बन्धुत्व को प्रोत्साहन मिला।।

(ii) इस क्षेत्र के अन्तर्गत बुद्धिवाद का उदय हुआ तथा जनता को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई।

(iii) फ्रांस की क्रांति ने राजा के दैवी अधिकारों को समाप्त कर जनतंत्र की स्थापना की।

(iv) व्यक्ति की महत्ता पर बल दिया गया तथा मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की घोषणा की गई।

(v) दास प्रथा की समाप्ति हुई।

(vi) कई शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की गई।

(vii) गिल्ड प्रथा, प्रान्तीय आयात कर तथा अन्य व्यापारिक प्रतिबन्ध हटा देने के कारण वाणिज्य-व्यापार की वृद्धि हुई।

(viii) राष्ट्रीय कैलेंडर लागू हुआ।

(ix) महिलाओं को पुरुषों के समान राजनैतिक अधिकार प्रदान किया गया।

प्रश्न 6. फ्रांस की क्रांति का यूरोपीय देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर-फ्रांस की क्रांति का यूरोपीय देशों पर प्रभाव:

(1) इटली पर प्रभाव-फ्रांस की क्रांति के बाद इटली के विभिन्न भागों में नेपोलियन ने अपनी सेना एकत्रित कर लड़ाई की तैयारी की जिससे उनमें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ तथा इटली राज्य की स्थापना हुई।

(2) जर्मनी पर प्रभाव-जर्मनी जो 300 राज्यों में विभक्त था, नेपोलियन के प्रयास से 38 राज्यों में सीमित हो गया जिससे जर्मनी के एकीकरण को बल मिला।

(3) पोलैंड पर प्रभाव-नेपोलियन ने पोलैंड में भी स्वतंत्रता की लहर फंक दी। पहले यह रूस. प्रशा तथा आस्ट्रिया में बँटा था पर बाद में क्रांति के फलस्वरूप पोलैंड का स्वतंत्र राज्य कायम हो सका।

(4) इंग्लैंड पर प्रभाव-इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति में इस क्रांति का बहुत प्रभाव था।

प्रश्न 7. फ्रांस की क्रांति के लिए लुई xvi किस प्रकार उत्तरदायी था?

उत्तर-फ्रांस की क्रांति से पहले फ्रांस में राजतंत्रात्मक शासन व्यवस्था थी। बूर्वो राजवंश के लुई xIV के शासनकाल में साम्राज्य की प्रतिष्ठा उच्च शिखर पर थी, लेकिन उसके बाद के शासक अयोग्य सिद्ध हुए। 1774 ई० में लुई XVI गद्दी पर बैठा जो निरंकुश, फिजूलखर्ची एवं अयोग्य था । उसका विवाह आस्ट्रिया की राजकुमारी मेरी अन्तोयनेत के साथ हुआ जो उत्सवों में काफी रुपये लुटाती थी और अपने खास आदमियों को ओहदे दिलाने के लिए राजकार्य में दखल देती थी। राजा के वर्साय स्थित महल में 15 हजार ऐसे अधिकारी थे जो कोई कार्य नहीं करते थे लेकिन राजस्व का 996 इन्हीं की वेतन के रूप में खर्च होता था । फ्रांस पर पहले से ही 10 अरब से भी अधिक का कर्ज बढ़ गया था। अतः राजा को अपने नियमित खर्च निकालने के लिए जनता पर करों में वृद्धि करनी पड़ती थी । निरंकुश राजतंत्र पर नियंत्रण का अभाव था। आवश्यकता पड़ने पर राजा पैसे तथा शक्ति के बल पर न्यायाधीशों को भी खरीद लेता था ।इन सब फ्रांस की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 8. “जैकोबिन क्लब” का फ्रांस की क्रांति में क्या योगदान था ?

उत्तर-“जैकोबिन क्लब” आलोचकों का समूह था जिसका नेता रॉब्सपीयर था । राब्सपियर वामपंथी विचारधारा का समर्थक था । वह प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का पोषक था। 21 वर्ष से अधिक उम्र वालों को मतदान का अधिकार देकर चुनाव कराया गया। 21 सितम्बर, 1792 को नव निर्वाचित एसेम्बली को कन्वेन्शन नाम दिया गया तथा राजा की सत्ता को समाप्त कर दिया गया । देशद्रोह के अपराध में लुई XVI पर मुकदमा चलाया गया तथा 21 जनवरी, 1793 को उन्हें फाँसी दे दी गई। कुछ दिनों के बाद मेरी अन्तोयनेत को भी फाँसी दे दी गई । कन्वेन्शन द्वारा फ्रेंच को राष्ट्र की एकमात्र भाषा घोषित कर दी गई । गुलाम प्रथा तथा प्रथम पुत्र को ही उत्तराधिकार की प्रथा को भी समाप्त कर दिया गया । इन सभी को रॉब्सपियर ने सर्वोच्च सत्ता की प्रतिष्ठा के रूप में स्थापित किया लेकिन उसकी हिंसात्मक कार्रवाइयों की वजह से जुलाई,1794 में उसे मृत्युदंड मिला।